एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने रविवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह किसानों के प्रदर्शन को गंभीरता से ले। अगर गतिरोध जारी रहता है तो आंदोलन केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा और देशभर में फैल जाएगा। उन्होंने कहा कि जब किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
एननसीपी नेता ने कहा कि लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है। उम्मीद है कि सरकार को अक्ल आएगी और वह मुद्दे के समाधान के लिए संज्ञान लेगी।
उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसानों का देश की कृषि और खाद्यान्न में सर्वाधिक योगदान है। इन राज्यों के किसान न सिर्फ हमारा पेट भरते हैं, बल्कि वे भारत की खाद्य अनाज आपूर्ति, खासकर एक दर्जन से अधिक देशों को चावल और गेहूं की आपूर्ति में बड़े आपूर्तिकर्ता भी हैं।
शरद पवार ने कहा कि जब तीनों कृषि विधेयक संसद में लाए गए तब भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने कहा था कि विधेयकों को जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए और इन विधेयकों पर चर्चा कराने तथा प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की थी लेकिन तब सरकार ने नहीं सुनी और अब उसे नतीजे भुगतने होंगे।
बता दे कि नए कृषि कानूनों के विरोध किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद' का आह्वान किया है। किसानों और केंद्र के बीच कई दौर की वार्ता के बावजूद मुद्दे का समाधान नहीं निकल पाया है।