सामना में लिखा गया है कि मौजूदा हालात देखकर लग रहा है कि कश्मीर का सवाल पहले की तुलना में और ज्यादा उलझ गया है। महबूबा मुफ्ती ऊपर-ऊपर से शांति का आह्वान कर रही है, फिर भी बुरहान वानी के बारे में उनकी निश्चित भूमिका क्या है, यह जानना जरूरी है।
शिवसेना ने भाजपा पर भी करारे प्रहार किए और कहा कि कहीं भाजपा ने महबूबा के हाथ कश्मीर घाटी की कमान देकर गलती तो नहीं कर दी, ऐसा डर लगता है। सामना में लिखा गया है कि इसके पहले अफजल गुरु को कश्मीर का स्वतंत्रता सेनानी या क्रांतिकारी मानने की वकालत भी महबूबा ने की थी। उनके इस इतिहास को देखते हुए यह डर बना हुआ है।
सामना में लिखा गया है कि कश्मीर में जो आग लगी है, इसकी आंच देश को लग रही है। इधर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण करवाने की घोषणा हुई। उसके पहले कश्मीर की अमरनाथ यात्रा शांति से संपन्न हो जाए। जो चल रहा है वह भयंकर हैै। गृहमंत्री को तत्काल पीएम को सारी जानकारी देनी चाहिए।