ऐसे में कई सियासी दलों ने अपनी रणनीति भी बदलनी शुरु कर दी है।
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को जब बहुमत से अधिक सीटें हासिल हुई तो इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी टीम को दिया जा रहा था। उस समय अखिलेश ने युवाओं पर भरोसा जताया और नए चेहरों को लेकर उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक जीत हासिल की।
तीन साल के बाद अखिलेश यादव की सरकार की किरकिरी होने लगी तब एक बार फिर युवाओं को सक्रिय करके माहौल पैदा करने की कवायद शुरु कर दी गई है। इसलिए अखिलेश यादव ने इस साल प्रदेश की कार्यकारिणी का गठन किया तो बड़ी संख्या में युवाओं को शामिल किया। गौरतलब है कि अखिलेश पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
इसलिए 2012 की टीम को एक बार फिर कार्यकारिणी में जगह देकर सक्रिय किया जा रहा है। क्योंकि सरकार बनने के बाद इस टीम को नजरअंदाज कर दिया गया था। ऐसे में युवाओं में निराशा होने लगी थी। लेकिन कार्यकारिणी में संजय लाठर, आंनद भदौरिया, नफीस अहमद, सुनील सिंह यादव, संग्राम सिंह आदि को जगह देकर फिर युवाओं को सक्रिय करने का प्रयास शुरु कर दिया गया। ताकि यह संदेश जा सके कि युवाओं को अखिलेश ने दूर नहीं किया है। कार्यकारिणी में शामिल युवाओं को फिर भूमिका मिलने से सक्रियता भी देखी जा रही है।
समाजवादी छात्र सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह यादव आउटलुक से कहते हैं कि यह कहना गलत होगा कि युवा सक्रिय नहीं था। युवा हमेशा सक्रिय रहा है जब उसे जिम्मेदारी दी गई तब काम करके दिखाया। आज अगर फिर जिम्मेवारी दी जा रही है तो उसे भी पूर्ण निष्ठा के साथ निभाया जाएगा।