महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले समूह के एक दर्जन से अधिक पूर्व पार्षदों ने यहां बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) मुख्यालय में शिवसेना कार्यालय के बाहर डेरा डाला ताकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट द्वारा इस पर नियंत्रण करने के किसी भी प्रयास को विफल किया जा सके।
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि पूर्व पार्षदों के बीएमसी मुख्यालय के भूतल पर स्थित कार्यालय के बाहर सोमवार को डेरा डालने के मद्देनजर पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई, ताकि कानून-व्यवस्था की किसी प्रकार की समस्या पैदा नहीं हो।उल्लेखनीय है कि शिंदे ने सोमवार को कहा था कि असली शिवसेना के रूप में उनके गुट को मान्यता देने के निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद पार्टी की किसी भी संपत्ति पर कोई दावा नहीं किया जाएगा क्योंकि ‘‘हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के वारिस हैं और हमें किसी प्रकार का लालच नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के नाम और ‘तीर-कमान’ के चुनाव चिह्न पर नियमानुसार निर्णय लिया और ‘विधिमंडल’ (विधानमंडल परिसर) में स्थित कार्यालय शिवसेना का है। जहां तक संपत्ति का सवाल है, हमें कोई लालच नहीं है।’’
शिंदे ने विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल साझा करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ शिवसेना का गठबंधन तोड़ने के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के फैसले का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए कहा कि संपत्ति और धन के लालची लोगों ने 2019 में गलत कदम उठाया था।ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी, जो पिछले साल जून तक रही।
शिवसेना के दो गुटों के बीच दिसंबर 2022 में टकराव के बाद बीएमसी प्रशासन ने निकाय मुख्यालय में सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों को सील कर दिया था। ये कार्यालय अब भी सील हैं।निर्वाचन आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शुक्रवार को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित अविभाजित शिवसेना का ‘तीर-कमान’ चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था।