शिवसेना ने भाजपा पर अपनी धर्मनिरपेक्षता का दिखावा करने के लिए अलग जाने का भी आरोप लगाया और कहा कि अपना मकसद पूरा करने के लिए वह छत्रपति शिवाजी और लोकमान्य तिलक को भी राष्ट्र विरोधी बताने में संकोच नहीं करेगी। पार्टी के मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में कहा गया है कि हमें लगता है कि हिंदुत्व और राज्य के कल्याण के लिए हमने 25 साल दिए। लेकिन इन 25 सालों बर्बाद कर दिया। जो आज हुआ है क्या वह 25 साल पहले होना चाहिए था।
इसमें कहा गया है कि 25 सालों में पहली बार राज्य खुली सांस लेगा क्योंकि हिंदुत्व के गर्दन पर बंधी रस्सी आखिरकार खुल गई है। शिवसेना ने कहा है कि भाजपा के साथ गठबंधन (2014) के विधानसभा चुनाव में अपने आप टूट गया है... यह हिंदुत्व और महाराष्ट्र के लिए बना संबंध था, लेकिन रुपया और ताकत के साथ सब कुछ जीतने के उनके बीमार इरादों के कारण भाजपा ने इसे समाप्त कर दिया।
पार्टी ने कहा है कि ये लोग कांग्रेस के शासन काल में सत्ता में रहने वालों से ज्यादा बुरे हैं। ये लोग अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को साबित करने के लिए शिवाजी महाराज और लोकमान्य तिलक जैसी शख्सियतों को भी राष्ट्र विरोधी करार दे सकते हैं। शिवसेना ने कहा है कि जब हमने भाजपा के साथ गठबंधन किया था तो हमने युति धर्म को ध्यान में रखा था। लेकिन भाजपा के मन में कपट था। उसने वैसा तो नहीं किया बल्कि लोगों के हितों को ध्यान में रखने के बजाय उसने चुनाव में अपना जनाधार बढ़ाने में इसका इस्तेमाल किया। (एजेंसी)