जवाहरलाल विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने अचानक बिहार की राजधानी पटना में जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के मंत्री के साथ बैठक की। जिसके अगले ही दिन राजनीतिक गलियारों में इस बात की बहस तेज हो गई कि क्या भाकपा के धाकड़ नेता और अपने भाषणों के साथ-साथ केंद्र पर हमले के लिए जाने जाने वाले कन्हैया कुमार जल्द ही बिहार के मुख्यमंत्री के साथ हाथ मिला लेंगे।
हालांकि, इन अटकों पर सीपीआई और नीतीश कुमार ने विराम लगा दिया। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वो पहले भी कन्हैया कुमार से मिल चुके हैं। लेकिन, कभी राजनीतिक विषयों पर चर्चा नहीं हुई है। आगे सीएम नीतीश ने कहा कि वो सांसदों और विधायकों के अलावा अन्य लोगों से मिलते रहते हैं जो अपनी बातों को लेकर उनके पास आते हैं।
बहरहाल, कन्हैया की बिहार के मंत्री अशोक चौधरी से मुलाकात हुई है। चौधरी पिछले नीतीश सरकार के दौरान बीते साल विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले राज्य जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। ये मुलाकात इस ओर इशारा कर रही है कि जो दिख रहा है उससे इतर कुछ और बाते हैं।
सबसे पहले देखें तो दोनों तरफ से ये नहीं दिखा कि ये बैठक नियमित रूप से होने वाली कोई बैठक है। क्योंकि, कन्हैया कुमार और अशोक चौधरी ने मुस्कुराते हुए कैमरा को देखा जो कही और इशारा कर रही है। दूसरी बात ये है कि पिछले साल सीपीआई की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कन्हैया के खिलाफ कथित तौर पर उनके पटना कार्यालय में अपने समर्थकों के साथ हाथापाई करने के कारण सीपीआई ने कथित तौर पर एक सेंसर प्रस्ताव पारित किया था, जिसके कुछ ही दिन बाद ये बैठक हुई है।
ये उनकी पार्टी के साथ उनकी बढ़ती “असहमति” को लेकर निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त है। नीतीश और उनके मंत्री के साथ कन्हैया की बैठकों ने हाल के घटनाक्रमों के बीच एक नई लकीर खींच दी है। अब सवाल उठता है कि क्या बिहार में नीतीश की सेना में कन्हैया कुमार शामिल होंगे? और यदि ऐसा होता है तो फिर इससे किसे ज्यादा फायदा होगा।