कांग्रेस ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सराहना किए जाने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को दावा किया कि आरएसएस देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के लिए उसी तरह एक ‘अभिशाप’ था, जैसा कि यह किसी अन्य भारतीय राष्ट्रवादी के लिए है।
उन्होंने कहा, ‘‘4 फ़रवरी, 1948 को सरदार पटेल के तहत गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में, केंद्र सरकार ने कहा कि वह "हमारे देश में काम कर रही नफ़रत और हिंसा की ताकतों को जड़ से खत्म करने और राष्ट्र की स्वतंत्रता को ख़तरे में डालने और अंधकार में धकेलने के लिए" आरएसएस पर प्रतिबंध लगा रही है। संघ की गतिविधियों से प्रायोजित और प्रेरित हिंसा ने कई पीड़ितों की जान ले ली है। इस कड़ी में सबसे ताजा और मूल्यवान नाम स्वयं गांधीजी का है।’’
उनके मुताबिक, पटेल ने सितंबर 1948 मे आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के अपने फ़ैसले के बारे में बताते हुए एम.एस. गोलवलकर को भी लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि “उनके (आरएसएस के) सभी भाषण सांप्रदायिकता के ज़हर से भरे हुए थे…जिसके अंतिम परिणाम के रूप में, देश को गांधीजी के अमूल्य जीवन का बलिदान भुगतना पड़ा। महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस के लोगों ने ख़ुशी व्यक्त की और मिठाइयां बांटीं।’’
रमेश ने दावा किया कि आरएसएस का भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुक़सान पहुंचाने का एक लंबा इतिहास रहा है तथा आरएसएस सरदार पटेल के लिए वैसा ही अभिशाप था, जैसा किसी अन्य भारतीय राष्ट्रवादी के लिए है।