शिवसेना पर दावे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामला पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष भेज दिया है। कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ हटाने का नोटिस लंबित होने के दौरान क्या वो विधायकों की अयोग्यता का नोटिस जारी कर सकते हैं, इस पर सुनवाई की जरूरत है, इसलिए इस मुद्दे पर संविधान पीठ को सुनवाई करने की जरूरत है। गुरुवार तक तक बड़ी बेंच का गठन किया जाएगा।
बता दें कि शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया था। इसके अलावा शिवसेना के चुनाव चिह्न को लेकर दोनों गुटों के बीच झगड़ा है। इन सभी मामलों को अब पांच जजों की पीठ देखेगी। इस मामले में अब 25 अगस्त को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को गुरुवार तक कोई एक्शन न लेने के आदेश दिए। सुनवाई से पहले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि कोर्ट में जो होगा, देखा जाएगा। ठाकरे ने कहा था कि न्यायपालिका पर उन्हें पूरा भरोसा है।
सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे ने दलबदल, विलय और अयोग्यता से जुड़े कई संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को संविधान पीठ के समक्ष याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। साथ ही निर्वाचन आयोग को शिंदे गुट की उस याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं करने का निर्देश दिया जिसमें शिंदे गुट ने कहा था कि उसे असली शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनाव चिह्न दिया जाए।
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘मामले में गुरुवार को संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें और पीठ शुरुआत में निर्वाचन आयोग की कार्यवाही से संबंधित चुनाव चिह्न के संबंध में फैसला करेगी।’
महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर दावा ठोका था। उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की थी कि उनके खेमे को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी जाए। साथ ही पार्टी का चुनाव चिह्न तीर और धनुष भी उन्हें आवंटित किया जाए। इसके खिलाफ उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी मसले पर दोनों गुट आमने-सामने हैं। इसके अलावा विधायकों की अयोग्यता का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।