तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ द्रमुक के नेता एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि बिलकीस बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले ने अंधेरे के बीच आशा की किरण दी है और इसने भाजपा के ‘दोहरे मापदंडों’ को भी उजागर कर दिया है।
स्टालिन का कहना था कि आखिरकार न्याय की जीत हुई और फैसले ने ढांढस बंधाने का काम किया है। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला अंधेरे के बीच आशा की किरण है जो आत्मविश्वास पैदा करने वाला है।’’
स्टालिन के अनुसार, शीर्ष अदालत ने सच्चाई छिपाने और ‘दोषियों के साथ मिलीभगत’ के लिए गुजरात की भाजपा सरकार से नाराजगी लगाई है तथा यह फैसला राजनीतिक लाभ के लिए कानूनों को तोड़े जाने को भी इंगित करता है।
केंद्र की भाजपा सरकार और राज्यपाल के पद का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए स्टालिन ने कहा कि विपक्ष शासित राज्यों में कैदियों की वैध रिहाई में भी ‘बाधा’ पैदा की गई, जो उनके ‘दोहरे मापदंड’ को दर्शाता है।
उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को सोमवार को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि आदेश ‘‘घिसा पिटा’’ था और इसे बिना सोचे – समझे पारित किया गया था।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश भी दिया।