राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को आरोप लगाया कि नौकरशाही में ‘‘लेटरल एंट्री’’ का उद्देश्य केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के मूल संगठन आरएसएस के प्रति झुकाव रखने वाले लोगों को भर्ती करना है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘आखिर यूपीएससी इस तरह का विज्ञापन कैसे लाया। केंद्र आरक्षण और संविधान के खिलाफ अपने एजेंडे का खुलासा होने के बाद नाटक कर रहा है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘योजना नौकरशाही में पदों को आरएसएस समर्थित लोगों से भरने की थी। विज्ञापन सामने आते ही मैंने अपना विरोध दर्ज करा दिया था। हम सरकार के छिपे एजेंडे को लागू करने के प्रयासों को विफल करना जारी रखेंगे।’’
साल 2002 के गुजरात दंगों के बाद के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए राजद नेता ने कहा कि चिराग पासवान को सोचना चाहिए कि उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान की प्रतिक्रिया क्या होती, जिन्होंने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के विरोध में अपना कैबिनेट पद छोड़ने में जरा भी देरी नहीं की थी।
यूपीएससी ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति करता है, जिन पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की तैनाती होती है। इसमें निजी क्षेत्रों से अलग अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में सीधे संयुक्त सचिव और निदेशक व उप सचिव के पद पर नियुक्ति दी जाती है।
हालांकि केंद्र के अनुरोध के बाद यूपीएससी ने नौकरशाही में ‘लैटरल एंट्री’ के जरिये भर्ती के लिए जारी नवीनतम विज्ञापन रद्द कर दिया है।
उन्होंने पिछले सप्ताह जारी एक अधिसूचना की ओर भी ध्यान दिलाया जिसमें आईसीएआर के लिए 300 से अधिक पदों के लिए विज्ञापन दिया गया था। आईसीएआर केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
यादव ने कहा, ‘‘विज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी पद अनारक्षित हैं। यह सरकार द्वारा चुपचाप अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का एक और उदाहरण है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ओबीसी होने के बावजूद इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे जो चाहती है कि दलित लोग शौचालय साफ करें और सरकारी नौकरियों तक उनकी पहुंच न हो। सत्ता का आनंद लेने के लिए चुप रहने वाले भाजपा और राजग के नेताओं को जनता कड़ा सबक सिखाएगी।”