बिहार से तीन बार के सांसद और भाजपा के दिग्गज नेता अश्विनी चौबे का टिकट कट गया है। हालांकि पार्टी के इस फैसले से वो आहत हैं। उनके मुताबिक, जिस तरह से पार्टी ने उनके पक्ष में फैसला लिया, उससे वह आहत हैं। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पार्टी से उनके गहरे जुड़ाव के बावजूद उन्हें इस मामले में अंधेरे में रखा गया। उनके मुताबिक उन्हें टिकट कटने की कोई उम्मीद नहीं थी।
अश्विनी चौबे ने कहा, "मैं दशकों से उम्मीदवारों को टिकट देने वाली कोर कमेटी का हिस्सा रहा हूं। चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट पाना मेरे लिए कभी कोई समस्या नहीं रही और मेरी पार्टी ने मुझे कभी भी उपेक्षित महसूस नहीं कराया। पार्टी के साथ मेरा जुड़ाव इससे कहीं आगे तक है और मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन हर बार मैं और मजबूत होकर उभरा हूं।"
इंटरव्यू में उन्होंने आगे कहा, "छात्र जीवन में आरएसएस बाल स्वयंसेवक से जुड़ने के बाद से अब तक करीब छह दशक का सफर काफी रोचक रहा है। संघर्षों और यहां तक कि मौत से बचकर निकलने के दौरान भी मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। गोवलकर जी और गोविंदाचार्य जी जैसे लोगों से सीखने का मौका मिलने के बाद मैं संघर्ष को गले लगाता हूं और सबकुछ ईश्वर द्वारा निर्धारित मानता हूं। लेकिन हां, जिस तरह से यह सब हुआ, वह दुखद है, क्योंकि इसमें साजिश की झलक मिलती है।"
उन्होंने कहा, "सच तो यह है कि किसी ने कभी मुझसे इस बारे में चर्चा नहीं की कि इस सीट पर मुझे इस कारण से टिकट नहीं मिलेगा। मैं यह जानने की कोशिश कर रहा हूं कि आखिर इसकी वजह क्या रही होगी। मैंने पार्टी के उच्च अधिकारियों को भी इस बारे में अवगत करा दिया है और उनके निर्देश का इंतजार करूंगा। मैंने उनसे कहा है कि मुझे यह जानने का हक है कि मुझे टिकट क्यों नहीं दिया गया। कुछ लोग कहते हैं कि मैंने नए उम्मीदवार का नाम सुझाया, जो गलत है। मुझे कभी नहीं पता था कि स्थानीय स्तर पर पर्दे के पीछे क्या चल रहा था।"