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Search Result : "अनुसूचित जाति-जनजाति संगठन"

जदयू में फूट: नीतीश के फैसले के ‌ विरोध में केरल यूनिट का संगठन से बाहर होने का निर्णय

जदयू में फूट: नीतीश के फैसले के ‌ विरोध में केरल यूनिट का संगठन से बाहर होने का निर्णय

जनता दल (यू) की केरल इकाई ने नीतीश कुमार के महागठबंधन' को तोड़ने और भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाने के फैसले का भारी विरोध किया है। इसे लेकर केरल यूनिट ने जदयू से बाहर आने का फैसला किया है।
कोविंद जीतें या मीरा, राष्ट्रपति का अनुसूचित जाति से होना हमारे आंदोलन की बड़ी जीत: मायावती

कोविंद जीतें या मीरा, राष्ट्रपति का अनुसूचित जाति से होना हमारे आंदोलन की बड़ी जीत: मायावती

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मायावती ने खुशी जताई है। बसपा सुप्रीमो ने कहा है कि राष्ट्रपति का अनुसूचित जाति से होना हमारे आंदोलन की बड़ी जीत है।
जाति को गठरी में बांधकर जमीन में गाड़ देना चाहिए: मीरा कुमार

जाति को गठरी में बांधकर जमीन में गाड़ देना चाहिए: मीरा कुमार

विपक्ष की राष्ट्रपति उम्मीदवार मीरा कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में दलित का मुकाबला दलित से, जैसी चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन जब उच्च जाति के उम्मीदवार होते हैं तो उनकी जाति की चर्चा नहीं की जाति। मीरा कुमार ने कहा कि जाति को जमीन में गाड़ देना चाहिए।
देशभर के 130 किसान संगठन आंदोलन की राह पर, सरकार की बढ़ेंगी मुश्किलें

देशभर के 130 किसान संगठन आंदोलन की राह पर, सरकार की बढ़ेंगी मुश्किलें

सभी किसानों की कर्जा माफी और फसल का न्यूनतम समर्थम मूल्य (एसएमपी) के मुद्दों पर देशभर के किसानों में अलख जगाने के लिए मध्यप्रदेश के मंदसौर से छह जुलाई को जनजागृति यात्रा निकाली जाएगी और यह यात्रा दो अक्तूबर को महात्मा गांधी के किसान आंदोलन की सौवीं वर्षगांठ पर बिहार के चंपारण में समाप्त होगी। यह फैसला शुक्रवार को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में जुटे करीब 130 किसान संगठनों ने सर्वसम्मति से लिया। इस यात्रा को अंजाम देने के लिए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन किया गया है। इतनी बड़ी संख्या में किसानों के संगठन का एकसाथ जुटना किसान एकता की दिशा में एतिहासिक कदम माना जा रहा है। समजा जाता है कि किसानों की इस तरह एकजुटता लंबे अर्से बाद दिखाई दी है।
नए दौर में दलित पॉलिटिक्स: जाति पर जोर से दलित एजेंडा हुआ फीका

नए दौर में दलित पॉलिटिक्स: जाति पर जोर से दलित एजेंडा हुआ फीका

आज दलित समुदाय हर दृष्टि से चौराहे पर खड़ा है। कई दशक बाद दलित राजनीति लगभग हाशिए पर पंहुच गई है। दलित जन प्रतिनिधियों से दलित समुदाय एकदम निराश है। वे समुदाय पर होने वाले अत्याचार के मसलों पर कुछ नहीं बोलते हैं। अब दलित समाज में उन्हें खुले मंचों से पूना पैक्ट की खरपतवार कहना शुरू कर दिया है।
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