भाजपा सांसद तरूण विजय की टिप्पणी से शुरु हुई रंगभेद की बहस को बॉलीवुड के अभिनेता अभय देओल ने एक नया मोड़ दे दिया है। इस मुद्देे को अभय ने उन टेलीविज़न कमर्शियल्स से जोड़ दिया है, जिनमें बॉलीवुड सेबेब्रिटीज़ गोरा बनने के नुस्ख़े बताते हुए दिखते हैं।
दागी सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को आजीवन अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए चौतरफा आलोचनाओं का सामना करने के बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को यह विवादास्पद फैसला वापस लेने को बाध्य होना पड़ा है।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के पूर्व दागी अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने उन्हें राष्ट्रीय ओलंपिक संस्था का आजीवन अध्यक्ष नियुक्त करने की आलोचना करने पर विजय गोयल पर निशाना साधते हुए कहा कि खेल मंत्री को अपने काम पर ध्यान लगाना चाहिए क्यांकि वह अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रहे हैं।
राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपों के दागी सुरेश कलमाड़ी को आज भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की वार्षिक आम सभा की बैठक में मानद आजीवन अध्यक्ष बनाया गया। एक अन्य दागी अधिकारी अभय सिंह चौटाला को भी आईओए का मानद आजीवन अध्यक्ष बनाया गया है।
राजनीतिक पार्टियां विधानसभा चुनाव से पहले अपने कार्यकर्ताओं के खाते में नकदी डालकर अपने काले धन को सफेद बनाने का प्रयास कर सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषक प्रधानमंत्री की पहल को मात्र लोकप्रियता हासिल करने के लिए उठाया गया कदम करार दे रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इससे राजनीतिक दलों द्वारा काले धन के इस्तेमाल पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य नेताओं को नोटिस जारी कर भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की उस अर्जी पर जवाब तलब किया है जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से कुछ दस्तावेज मांगे हैं।
हैप्पी भागती है लेकिन अपने दर्शकों को हंसा-हंसा कर भागती है। यह मिलावट के साथ असली फिल्लम है। सच्ची। हैप्पी (डायना पेंटी) के किरदार में खिलंदड़पन है पर वह जब वी मेट की गीत नहीं है। बग्गा प्रेम का दुखयिरा है पर यह तनु वेड्स मनु का राजा अवस्थी भी नहीं है। फिर भी यह मजेदार है और दिमाग पर बोझ नहीं डालती।
एक गैर सरकारी संगठन का आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार ने व्यापमं और डीमैट घोटाले के मामलों में सीबीआई जांच से बचने के लिए वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं लीं। यही नहीं राज्य सरकार ने इसके लिए अपने ही विधि विभाग के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया और सेवा के लिए उन वकीलों को सवा करोड़ रुपये का भुगतान भी किया।