एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने की मांग करते हुए मेरठ की एक अदालत में याचिका दायर की गई है वहीं भाजपा और जदयू ने उनके खिलाफ कार्रवाई तथा तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद 50,000 मुसलमानों के पलायन करने का दावा करते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को भाजपा से कहा कि क्या वह वहां एक तथ्यान्वेषी टीम भेजेगी, जैसा कि इसने हिंदुओं के कथित पलायन के मुद्दे पर कैराना भेजी है।
मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने जन्मदिन पर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की तस्वीर वाला केक काटकर विवाद को अंजाम दे दिया है।
कार्यपालिका पर न्यायपालिका की ओर से की जाने वाली टिप्पणियों को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा ने लोकसभा में आज कड़ा रूख अपनाया और अदालतों द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद आदि पर की जाने वाली टिप्पणियों पर रोक लगाने या उसकी कोई सीमा तय करने की मांग की।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा और उन पर ‘भरोसे का कत्ल’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने शिवसेना को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार छोड़ने की हिम्मत दिखाने की चुनौती दी। ओवैसी बंधुओं को ललकारते हुए कहा कि वे महाराष्ट्र आएं तो मैं उनके उनके गले पर चाकू रखूंगा, फिर देखता हूं कि कौन भारत माता की जय नहीं कहता।
एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट की तरफ से धमकी मिली है। हैदराबाद से सांसद ओवैसी को कथित तौर पर यह धमकी आईएसआईएस के खिलाफ बोलने की वजह से एक सोशल नेटवर्किंग साइट पर मिली है। हालांकि अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले ओवैसी ने कहा है कि वह इससे डरने वाले नहीं हैं।
सांसद असदउद्दीन औवेसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर मैदान में कमर कसे हुए है। हालांकि बीते एक वर्ष से इनके कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन अब ये अपनी मांगों को लेकर ये आंदोलनरत हो गए हैं।
जिसे जिसका मांस खाना हो खाए, कोई गाय को माता माने या न माने, कोई बार-बार विदेश जाकर भारत की जैसी मर्जी महिमा मंडन करे, कोई किसी को मुल्ला कहे या पाकिस्तानी। मुसलमानों के एक बहुत बड़े वर्ग को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। ये मध्य और निम्न मध्य वर्ग के वे मुसलमान हैं जो दंगों की लपटों में झुलस जाते हैं। इस वर्ग को मतलब है तो सिर्फ इस बात से कि इन्हें दो जून की रोटी मिलती रहे और रोटी कमाने वाले कायम रहें। ये अपने गांव में रहते रहें क्योंकि दूसरी किसी जगह पर ठिकाना नहीं है। इन्हें रहने के लिए गांव छोडक़र कैंपों में न जाना पड़े। यही इनकी सबसे बड़ी फिक्र है।