आत्मकथाएं वैसे भी अलग से रेखांकित की जाती हैं। ऐसे में यदि कोई आत्मकथा स्त्री द्वारा लिखी गई हो, इसके प्रति उत्सुकता बढ़ना स्वाभाविक है। और यदि यह आत्मकथा अध्यापक, आलोचक निर्मला जैन की हो तो जिज्ञासा कहां तक पहुंचेगी यह नापने का कोई पैमाना नहीं है।
हिंदी की प्रसिद्ध लेखिका रमणिका गुप्ता की आत्मकथा का दूसरा खंड ‘आपहुदरी’ (जिद्दी लड़की) का लोकार्पण प्रख्यात आलोचक मैनेजर पांडे और प्रसिद्ध कवि-आलोचक और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने किया।