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राफेल सौदे पर बातचीत इसी महीने शुरू होगी: पर्रिकर

राफेल सौदे पर बातचीत इसी महीने शुरू होगी: पर्रिकर

फ्रांस के रक्षा मंत्री की भारत यात्रा से पहले भारत ने कहा कि भारतीय वायु सेना के लिए राफेल लड़ाकू जेट विमान खरीदने के लिए बातचीत इसी महीने शुरू होगी। अरबों डॉलर के इस सौदे को जितना जल्दी संभव हो अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
तीन देशों की यात्रा के बाद स्वदेश लौटे प्रधानमंत्री मोदी

तीन देशों की यात्रा के बाद स्वदेश लौटे प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन देशों फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की यात्रा के बाद शनिवार तड़के स्वदेश पहुंच गए है। इस यात्रा के दौरान फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की आपूर्ति और कनाडा के साथ यूरेनियम करार सहित विभिन्न महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
पर्रिकर : राफेल सौदे से वायुसेना को मिलेगी राहत

पर्रिकर : राफेल सौदे से वायुसेना को मिलेगी राहत

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को कहा है कि फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा होने से भारतीय वायु सेना को कुछ राहत मिलेगी। इन विमानों को दो वर्ष में वायुसेना में शामिल किया जाएगा।
मोदी ने राउरकेला का आधुनिक संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया

मोदी ने राउरकेला का आधुनिक संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) में 12,000 करोड़ रुपये की विस्तार एवं आधुनिकीकरण परियोजना राष्ट्र को समर्पित की। इस परियोजना के तहत एक नई प्लेट मिल लगाई गई है।
विमान को नष्ट करना चाहता था सह-पायलट

विमान को नष्ट करना चाहता था सह-पायलट

एल्प्स पर्वत में दुर्घटना का शिकार हुए जर्मनविंग्स के विमान के सह-पायलट ने जानबूझकर उसे नष्ट किया था। यह बात फ्रांस के एक अधिकारी ने कही, हालांकि उन्होंने इसमें आतंकवाद से जुड़ा कोई पहलू होने से इनकार किया।
फ्रांस के एल्प्स में विमान दुर्घटनाग्रस्त

फ्रांस के एल्प्स में विमान दुर्घटनाग्रस्त

जर्मन विमानन कंपनी लुफ्तांसा की सस्ती सेवा जर्मनविंग्स का विमान एल्प्स के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। चालक दल सहित सभी 142 यात्रियों के मारे जाने की आशंका है। विमान का मलबा मिल गया है और अभी कारण का पता नहीं चला है।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?
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