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Search Result : "आप का घोषणापत्र"

सपा ने जारी किया घोषणापत्र, कई लोकलुभावन वादे किए

सपा ने जारी किया घोषणापत्र, कई लोकलुभावन वादे किए

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने पिता और पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की गैरमौजूदगी में पार्टी का घोषणापत्र जारी कर दिया। अखिलेश ने चुनाव में जनता को लुभाने के लिए कई घोषणाएं की हैं। घोषणापत्र जारी होने के बाद मुलायम सिंह यादव भी पार्टी कार्यालय पहुंचे।
केंद्र की भाजपा सरकार से बेहतर हैं समाजवादी सरकार की योजनाएं: अखिलेश

केंद्र की भाजपा सरकार से बेहतर हैं समाजवादी सरकार की योजनाएं: अखिलेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर जनता को अच्छे दिनों के नाम पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की समाजवादी सरकार की योजनाएं केंद्र की योजनाओं से बेहतर हैं। उन्होंने भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए भाजपा को अपनी केंद्र की सरकार और राज्य की सपा सरकार की योजनाओं की तुलना करने की चुनौती भी दे डाली।
लैपटाप नहीं अब मोबाइल देंगे अखिलेश यादव

लैपटाप नहीं अब मोबाइल देंगे अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने की तैयारी कर चुके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब लैपटाप की जगह मोबाइल फोन देने की तैयारी कर रहे हैं। यह संभव भी है कि समाजवादी पार्टी मोबाइल देने का वादा अपने चुनावी घोषणापत्र में भी कर दे।
सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण का कार्ड उप्र में खेलेगी कांग्रेस

सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण का कार्ड उप्र में खेलेगी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस हर तरीके की रणनीति अपनाने में जुट गई है। इसके लिए पार्टी अपने घोषणा पत्र में गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने पर भी विचार कर रही है।
पंजाबः माफी के लिए स्वर्ण मंदिर में सेवा करेंगे केजरीवाल

पंजाबः माफी के लिए स्वर्ण मंदिर में सेवा करेंगे केजरीवाल

पंजाब में युवाओं के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र के मुख्य पृष्ठ पर स्वर्ण मंदिर की तस्वीर का इस्तेमाल करने और इस पर अपने चुनाव चिह्न ‘झाड़ू’ की तस्वीर छापने के मामले में पार्टी खासी आलोचना हो रही है।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?
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