दुनिया भर में आर्थिक क्षेत्र में एक बेहतर निवेश संभावनाओं वाले देश के रूप में अपनी पहचान बना चुके भारत के मामले में एक रोचक तथ्य यह भी है कि यहां प्रत्येक 100 मतदाताओं में से केवल सात ही करदाता हैं। इसके आधार पर कहा जा रहा है कि दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में राजकोषीय लेकतंत्र विकसित नहीं हो सका है।
कांग्रेस ने कहा कि आर्थिक समीक्षा भारतीय अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को दर्शाती है और सरकार इसके समक्ष पेश समस्याओं का फौरी या दीर्घकालिक समाधान खोजने में विफल रही है।
जाट आरक्षण को लेकर शुरू हुआ आंदोलन जींद के गांव ईक्कस और पलवल में तीसरे दिन भी जारी रहा। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों ने खाप चौधरियों तथा जाट मंत्रिायों पर जमकर निशाना साधा।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपेक्षाकृत निम्न मुद्रास्फीति दर, राजकोषीय अनुशासन तथा व्यापक रूप से स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के साथ मामूली चालू खाता घाटे के साथ एक सूक्ष्म आर्थिक वातावरण बनाए रखा है। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आज संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2016-17 में कहा गया है कि वर्तमान में जारी वैश्विक मंदी के बावजूद यह मजबूती बनी रही है। आर्थिक समीक्षा की कुछ खास बातें इस प्रकार की हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती ने भारतीय जनता पार्टी भाजपा पर आरक्षण-विरोधी मानसिकता के तहत काम करने तथा इस मामले में लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग करते हुए जाट संगठनों के सदस्यों ने हरियाणा के ज्यादातर जिलों में आज अपना आंदोलन शुरू किया। ताजा आंदोलन का आह्वान कुछ जाट संगठनों की ओर से किया गया है, इनमें विशेष रूप से यशपाल मलिक के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) से जुड़े लोग शामिल हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता एम.जी. वैद्य सहित अपने नेताओं के पिछड़े वर्गों के आरक्षण को लेकर की गई टिप्पणियों को कारण विभिन्न वर्गों के निशाने पर आए आरएसएस ने आज इन विचारों से दूरी बनाते हुए कहा कि वह वैद्य के निजी विचारों से सहमत नहीं है।
भाजपा के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने आरक्षण पर आरएसएस के प्रचार प्रमुख के विवादास्पद बयान पर कड़ी आपत्ति जताई और पूछा कि ऐसे बयान चुनावों के दौरान क्यों दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह का बयान बिहार चुनावों में राजग को महंगा साबित हुआ था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले संघ ने आरक्षण को खत्म करने की वकालत करके पिछड़ों को एकजुट होने का मौका दे दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरक्षण के मसले ने भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। कुछ उसी तरह का हाल उत्तर प्रदेश में न हो जाए इसको लेकर भाजपा के कई नेता नाराज भी बताए जा रहे है।