बिहार में सियासी उबाल के बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट ने खलबली मचा दी है। एडीआर के मुताबिक नीतीश की नई सरकार में 75 फीसदी मंत्री दागी हैं।
उत्तरप्रदेश की नयी सरकार के 20 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि पंजाब के दो मंत्रियों के खिलाफ मामले हैं। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। धन के मामले में उत्तरप्रदेश के 35 मंत्री करोड़पति हैं जबकि पंजाब में नौ मंत्री करोड़पति हैं।
एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड में दोबारा चुनाव लड़ रहे 60 विधायकों की संपत्ति में पिछले पांच सालों में औसतन 1.77 करोड़ रूपये का इजाफा हुआ है। भाजपा के 29 विधायकों की संपत्ति में औसतन दो करोड़ रूपये से अधिक का इजाफा हुआ वहीं कांग्रेस के 28 विधायकों की संपत्ति में एक करोड़ रूपये से अधिक की वृद्धि हुई।
पिछले 11 साल में राजनीतिक पार्टियों को मिले चंदे के आंकड़ों से फंडिंग को पारदर्शी बनाने की जरूरत को बल मिला है। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की ओर जारी आंकड़ों के अनुसार 11 सालों में राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे के 69 फीसदी के स्रोत का पता ही नहीं है। इस दौरान राजनीतिक दलों को ज्ञात स्रोत से केवल 16 फीसदी ही चंदा जुटा पाए थे।
केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद किए जाने का असर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही राजनीतिक पार्टियों की तैयारियों पर भी पड़ सकता है। हालांकि सभी पार्टियां केंद्र सरकार के इस कदम से खुद पर पड़ने वाले असर के मुद्दे पर खामोश हैं, लेकिन चुनावों के लिए पार्टियों द्वारा चंदा एकत्र किए जाने के अब तक के तौर-तरीकों से यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़े नोटों का चलन बंद हो जाने से उन पर क्या असर पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने से राष्ट्रीय पार्टियों को लाभ होगा लेकिन छोटे क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका गौण होगी जो एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
राज्य सरकारों के 34 प्रतिशत मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 76 प्रतिशत मंत्री करोड़पति हैं उनकी औसत सम्पत्ति 8.59 करोड़ रूपए है। यह निष्कर्ष एक नए अध्ययन में आया है जिसमें यह बात भी सामने आयी है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 31 प्रतिशत मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
नेशनल इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (डीआर) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु की नवनियुक्त सरकार के 24 मंत्री करोड़पति हैं और आठ के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज है। वहीं केरल में बनी नई वाम मोर्चा की सरकार में पांच मंत्री करोड़पति हैं और 17 के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हैं।