आर्ट हेरिटेज की कल यानी 24 फरवरी से दिल्ली के मंडी हाउस क्षेत्र स्थित त्रिवेणी कला संगम की श्रीधरणी गैलरी में ‘दस चित्रकार’ (10 आर्टिस्ट) शीर्षक चित्रकला प्रदर्शनी शुरू हो रही है।
संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में पिछले नौ दशकों से ग्वालियर में आयोजित होते आ रहे तानसेन संगीत समारोह का विश्इव स्सतरीय पांच दिवसीय आयोजन इस साल यहां 16 दिसंबर से 20 दिसंबर तक किया जाएगा।
जर्मनी के एक इतिहासकार ने दावा किया है कि सन् 1900 की शुरूआत में अनिवार्य सैन्य सेवा करने में नाकाम रहने पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दादा को जर्मनी से बाहर निकाल दिया गया था।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 4 नवंबर से पूर्वोत्तर उत्सव का आयोजन होगा। हर साल आयोजित होने वाला यह उत्सव इस बार भी भव्य होगा और इस दौरान दिल्ली के कॉलेजों एवं बैंडों के बीच रॉक संगीत की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
अरसे से बालू से तेल निकालने का मुहावरा अक्सर परिश्रम और तकनीक से असंभव को संभव करने वालों के लिए कहा-सुना, लिखा-पढ़ा जाता रहा है। करीब ढाई दशक पहले एक ऐसे कलाकार का उदय हुआ, जिसने बालू को लेकर नया मुहावरा गढ़ दिया। और अब बालू की बात आते ही बुद्धिजीवी, खास कर कला-प्रेमियों के मस्तिष्क में जो नाम कौंधता है वह है सात समंदर पार तक प्रख्यात रेत-कलाकार सुदर्शन पटनायक का।
भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध के मुद्दे पर जारी बहस के बीच रिलायंस इंड्रस्टी के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने कहा कि पहले देश की बात होनी चाहिए न कि कला और संस्कृति की। अंबानी ने कहा, ‘‘मैं निश्चित रूप से एक बात को लेकर स्पष्ट हूं कि मेरे लिए देश पहले है। मैं एक बौद्धिक व्यक्ति नहीं हूं, एेसे में, मैं इन चीजों को नहीं समझता हूं लेकिन निसंदेह सभी भारतीयों की तरह मेरे लिए भारत सबसे पहले है।’’
प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को रिटायर हो जाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि आने वाले कुछ सालों में भाजपा ही देश में इकलौती राष्ट्रीय पार्टी बनकर उभरेगी। जो काफी लोकप्रिय रहेगी। उन्होंने कहा कि कई लोग सोचते हैं कि कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति में फिर से वापसी कर सकती है। मगर ऐसा नहीं है।
प्रख्यात इतिहासकार और जीवनीकार रामचंद्र गुहा ने आज कहा कि भारतीय बहुलवाद सबसे बड़े खतरों में से एक खतरे का सामना कर रहा है। यह खतरा उसे उन धार्मिक राष्ट्रवादियों से है, जो इसे कमजोर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पुराने लेखकों और कवियों की अच्छी तस्वीरें इंटरनेट पर शायद ही मिलती हैं। ऐसी स्थिति का सामना हम में से ज्यादातर लोग करते तो हैं लेकिन इस स्थिति का हल नहीं निकाल पाते हैं। ऐसे में एक कलाकार कई तरह के कला माध्यमों का सहारा लेकर पूराने लेखकों-कवियों की पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है।
जिस उम्र में ज्यादातर लोग काम से अवकाश ले लेते हैं, उस 68 वर्ष की उम्र में एक महिला कलाकार लोक कला को बढ़ावा देने के लिए जूझ रही है। राजस्थान के शहर बारन की रहनेवाली यह महिला मांडना नाम की एक ऐसी कला को संरक्षण देने का काम कर रही है जिसमें लाल सतह पर सफेद चॉक से चित्र बनाए जाते हैं।