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Search Result : "कृष्ण प्रताप सम्मान"

संसद में स्मृति के सम्मान में शरद

संसद में स्मृति के सम्मान में शरद

राज्यसभा में आज जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ पूर्व में की गयी अपनी टिप्पणी को लेकर उठे विवाद पर विराम लगाने के प्रयासों के तहत कहा कि वह उनका बहुत सम्मान करते हैं और ऐसा कहने का उनका कोई आशय नहीं था।
दिव्य दैहिकता की लय से दीप्त देवदासी नृत्य

दिव्य दैहिकता की लय से दीप्त देवदासी नृत्य

देवदासी नृत्य का दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य से नाभि-नाल का रिश्ता रहा है। इसकी गरिमामई वापसी के लिए चल रहे प्रयासों की कड़ी में ही यशोधा राव ठाकुर की प्रस्तुतियों को देखा जा सकता है।
जनआंदोलनों ने बनाया नया फोरम

जनआंदोलनों ने बनाया नया फोरम

देशभर के आंदोलनकारी संगठनों ने मिलकर एक नया फोरम बनाया है। फोरम का नाम ऑल इंडिया पीपल्स फोरम (एआइपीएफ) रखा गया है। इस फोरम का मुख्य मकसद साम्प्रदायिकता और कॉरपोरेट समर्थक सरकारी नीतियों का विरोध करना है।
हिंदी साहित्यकारों को अंतरराष्ट्रीय सम्मान

हिंदी साहित्यकारों को अंतरराष्ट्रीय सम्मान

ढींगरा फाउंडेशन-हिंदी चेतना अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मानों की घोषणा कर दी गई है। यह घोषणा वषऱर्ष 2014 के लिए है। इस के अंतर्गत यह पुरस्कार उषा प्रियंवदा (अमेरिका), चित्रा मुद्गल और ज्ञान चतुर्वेदी (भारत) को प्रदान किए जाएंगे।
फिल्मकार गोदार को मिलेगा स्विस अवॉर्ड

फिल्मकार गोदार को मिलेगा स्विस अवॉर्ड

दुनिया के मशहूर फिल्मकार और फ्रांसीसी न्यू वेव सिनेमा के संस्थापक सदस्य ज्यां लुक गोदार को 2015 के स्विस फिल्म ऑनररी अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह समारोह 13 मार्च को जिनीवा में होगा।
राहुल भरोसे पंजाब कांग्रेस

राहुल भरोसे पंजाब कांग्रेस

पंजाब में कांग्रेस पार्टी फूट से नहीं उबर पा रही है। अमृतसर से सांसद और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा की फूट जगजाहिर है।
अड्डे पर साझा उदासी

अड्डे पर साझा उदासी

अड्डे पर लोग सात बजे शाम से जुटने लगते हैं। साढ़े सात तक प्राय: सभी पहुंच जाते हैं। जो नहीं पहुंच पाता उसकी तलाश शुरू हो जाती है।
सियासी चौराहे पर अकेले ही ठिठके

सियासी चौराहे पर अकेले ही ठिठके

क्या कारण है कि जिस आडवाणी ने पहली बार जनसंघ का अध्यक्ष बनने पर 1973 में एक झटके में बलराज मधोक जैसी मजबूत शख्सियत को पार्टी से जड़ से उखाड़ फेंका, 1974 में जयप्रकाश आंदोलन के उड़ते तीर को पार्टी के लिए पकड़ बाद की इमरजेंसी के प्लावन मं सांप्रदायिकता की अस्पृश्यता धोने में गजब की फुर्ती दिखाई, संघ परिवार के संगठनों द्वारा आजादी के वक्त से ईंट-बैठाकर सुलगाए जा रहे बाबरी-मस्जिद रामजन्म भूमि के मसले को गरमाने के अवसरवादी क्षण को 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार के संकट में अचूक पहचाना, 1996 में भाजपा की सत्ता के लिए अन्य दलों के साथ जरूरी गठजोड़ बनाने के वास्ते खुद पीछे हटकर वाजपेयी को आगे करने की उस्तादी दिखाई, आज वही अपने नेतृत्व में न सहयोगी गठबंधन को उत्साहित कर पाए न अपनी पार्टी की दूसरी प्रांत के नेताओं को?
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