गुजरात दंगों में पीडितों की आवाज उठाने वाली ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड को परेशान करने की प्रक्रिया जारी है। अब एक और मामले में तीस्ता को घेरने की कोशिश की जा रही है। गुजरात की भारतीय जनता पार्टी सरकार तीस्ता की धुर विरोधी रही है। तीस्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी कट्टर आलोचक रही हैं। यही वजह है कि उन्हें एक के बाद दूसरे मामले में फंसाया जा रहा है।
केंद्रीय बजट से अलग-अलग तबकों और बिजनेस समूहों को अलग अपेक्षाएं हैं। ऐसी ही उम्मीद दक्षिण भारत मिल्स एसोसिएशन (सीमा) और इंडियन नेशनल शिप ओनर एसोसिएशन (इन्सा) को केंद्र सरकार से है कि वह केंद्रीय बजट में करों को कम करने की अपील की है।
ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड को सुप्रीम कोर्ट ने एक और राहत दी है। कोर्ट ने गुजरात पुलिस को निर्देश दिया है कि उसने तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद पर जो भी आरोप लगाये हैं उसके दस्तावेज़ों की सूची वह उनसे साझा करे। तीस्ता पर 2002 के दंगों मे तबाह अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी के संग्रहालय के लिए एकत्रित धन के गबन का आरोप लगाया गया है।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह बेंगलूरु में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह सहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बातें करके कांग्रेस की जगह लेने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि क्या किसी का स्वभाव बदल सकता है?
देश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की घटनाओं के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धार्मिक कट्टरता के ख़िलाफ़ एक लंबा भाषण दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए एक राष्ट्रीय समारोह में अपने विचार व्यक्त किये।
गुजरात दंगों के ख़िलाफ़ निरंतर सक्रिय रहने वाली ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को कानूनी पचड़ों में फंसाये जाने को लेकर मुखर विरोध शुरू हो गया है। देशभर के कई जाने-माने बुद्धिजीवियों ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए तीस्ता के पक्ष में अभियान शुरू कर दिया है। अब तक इस अभियान से हज़ारों लोग जुड़ चुके हैं।
2002 के गुजरात दंगों के ख़िलाफ़ मुखर ऐक्टिविस्ट तीस्ता शीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की अग्रिम जमानत गुजरात हाई कोर्ट ने रद्द कर दी है। उन पर दंगा पीड़ितों के लिए एकत्र चंदे में हेर-फेर का केस चल रहा है।