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उत्तराखंड: समयसीमा खत्म, अब फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगे

उत्तराखंड: समयसीमा खत्म, अब फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगे

उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार के बागी नौ कांग्रेसी विधायकों को राज्य विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने की समयसीमा के आज शाम समाप्त हो जाने के बाद सभी निगाहें विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर टिक गई हैं।
बागी विधायकों पर कार्रवाई का कदम विवादों के घेरे में

बागी विधायकों पर कार्रवाई का कदम विवादों के घेरे में

उत्तराखंड विधानसभा में 28 मार्च को हरीश रावत सरकार द्वारा बहुमत साबित करने की चुनौती से पहले सत्ताधारी कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को सदन की सदस्यता से बेदखल किए जाने का कदम विवादों के घेरे में आ गया है।
कांग्रेस ने अपने बचे विधायकों को अज्ञात जगह भेजा

कांग्रेस ने अपने बचे विधायकों को अज्ञात जगह भेजा

उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार पर आए संकट को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में बयानबाजी तेज हो गई है। इस बीच अपने बचे विधायकों को किसी भी संभावित टूट से बचाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें अज्ञात स्थान पर भेज दिया है। वैसे कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उन्हें रामनगर भेजा गया है।
कहानी - दुर्गंध

कहानी - दुर्गंध

15 अगस्त, 1960 कानपुर में जन्म। तीन दशक से भी ज्यादा समय से कहानी लेखन में सक्रीय। देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित। आंचलिक कथाकार के रूप में पहचान। कुछ कहानियों का बांग्ला, तमिल और उर्दू में अनुवाद। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर में कहानियों पर, ‘गोविंद उपाध्याय की कहानियों में सामाजिक जीवन’ शीर्षक से लघु शोध-प्रबंध। ‘बारात’ और ‘पीढ़ी’ कहानियां पाठ्य-पुस्तक में संकलित। कादम्बिनी द्वारा आयोजित साहित्यिक महोत्सव में कहानी पुरस्कृत। कथाबिंब के कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार में कहानी को उत्तम पुरस्कार। कमलेश्वर-वर्तमान साहित्य कथा पुरस्कार में कहानी चयनित एवं प्रकाशित। कई कृतियां, जिसमें से पंखहीन, समय, रेत और फूकन फूफा, सोनपरी का तीसरा अध्याय, चौथे पहर का विरह गीत, आदमी, कुत्ता और ब्रेकिंग न्यूज़, बूढ़ा आदमी और पकड़ी का पेड़ तथा नाटक तो चालू है मुख्य रूप से सराही गईं।
पनसारे-दाभोलकर-कलबुर्गी की हत्या पर रिजिजू के बयान पर आज विपक्ष घिरेगा सरकार को

पनसारे-दाभोलकर-कलबुर्गी की हत्या पर रिजिजू के बयान पर आज विपक्ष घिरेगा सरकार को

तर्कवादियों के परिजनों में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के बयान से गहरी नाराजगी, सरकारों के हीला-हवाली रवैय पर जताया एतराज
क्या वाकई थम गई पुरस्कार वापसी मुहिम?

क्या वाकई थम गई पुरस्कार वापसी मुहिम?

बिहार चुनाव के नतीजे आने का बाद सोशल मीडिया पर इन दिनों एक कविता काफी प्रसारित हो रही है। इस कविता में कहा जा रहा है कि अब कहीं से भी गोमांस, सम्मान वापसी, अरहर दाल की बढ़ती कीमतों को लेकर कोई बयान नहीं आ रहा है। यह सवाल खड़ा होता है कि क्या ऐसा सहिष्णुता की वजह से है या ऐसा बिहार का चुनाव खत्म हो जाने की वजह से है। स्पष्ट तौर पर यह आरोप लगता रहा है कि लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों द्वारा जो पुरस्कार लौटाए जा रहे थे वह बिहार चुनावों को प्रभावित करने की एक पूर्वनियोजित साजिश थी। इस संबंध में आरएसएस का मानना है कि पुरस्कार वापसी की मुहीम राजनीतिक ताकतों के हित में बहुत सलीके से संयोजित की गई थी। केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने तो यहां तक कहने में भी गुरेज नहीं किया कि पुरस्कार वापसी के इस मुहिम में बहुत ज्यादा पैसा सम्मिलित था। जो कुछ भी हुआ, यह उसकी पूरी तरह से एक प्रायोजित और विकृत व्याख्या है।
अजान हो तो रोक दो मंदिर की घंटियां

अजान हो तो रोक दो मंदिर की घंटियां

खुलना से ढाका की ओर मैंने जब रवानगी डाली तो दिन के दो बज रहे थे। खुलना से ढाका की दूरी मात्र 132 किलोमीटर है। लेकिन यह 132 किलोमीटर का सफर तय करने में मुझे पूरे नौ घंटे लगे। बीच में गंगा नदी को भी पार करना होता है, जो यहां आकर पद्मा बन जाती है। इस नदी पर कोई पुल नहीं है। बस, ट्रक, रिक्शे, सभी एक बड़े शिप पर सवार होते हैं और फिर उस पार पहुंचा दिए जाते हैं।
निखिल वागले ने किया पुलिस सुरक्षा लेने से इनकार

निखिल वागले ने किया पुलिस सुरक्षा लेने से इनकार

दक्षिण पंथी संस्था सनातन की ओर से धमकी मिलने के बाद वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने महाराष्ट्र सरकार से पुलिस सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है। इस धमकी के बाद राज्य सरकार ने उन्हें सुरक्षा देने की बात कही थी।
पानसरे हत्याः सनातन संस्‍था मामले में भिड़े वरिष्ठ कांग्रेसी

पानसरे हत्याः सनातन संस्‍था मामले में भिड़े वरिष्ठ कांग्रेसी

गोविंद पानसरे की हत्या के मामले में सनातन संस्था के एक कार्यकर्ता की गिरफ्तारी के बाद इस संगठन के जांच के घेरे में आने के साथ ही महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आज कहा कि राज्य में पिछली कांग्रेस नीत सरकार ने 2011 में ही केंद्र की तत्कालीन संप्रग सरकार से इस दक्षिणपंथी संगठन पर पाबंदी की मांग की थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने इस पर कार्रवाई नहीं की।
एक ‘शाखाहारी’ की स्वीकारोक्ति | शेखर गुप्‍ता

एक ‘शाखाहारी’ की स्वीकारोक्ति | शेखर गुप्‍ता

इस वर्ष का राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पूरी तरह एक नए अंदाज में मनाया गया। पहले तो हमने देखा कि किसी भी कक्षा में घुस जाने की ताकत रखने वाले हर महत्वपूर्ण सरकारी शख्स ने 'मैं भी शिक्षक’ का अपना सपना साकार किया। कड़वा सच बताना पड़ेगा कि हमारे अब तक के इस मंत्रिमंडल में सबसे कम पढ़े-लिखे लोग हैं। लेकिन उन्हें पढ़ाना अच्छा लगता है। और वे कभी-कभी पढ़ना भी पसंद करते हैं लेकिन वे अपने पसंदीदा शिक्षक और गुरुओं के गुरू आरएसएस के सिवा किसी और से पढ़ना नहीं चाहते।
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