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तुर्की में एक दलीय शासन की वापसी

तुर्की में एक दलीय शासन की वापसी

तुर्की में राष्ट्रपति रीसेप तयैप अरडोगन के नेतृत्व वाली जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) को बड़ी जीत मिली है। इसके साथ ही तुर्की में एक बार फिर से एकल पार्टी शासन की वापसी हो गई है।
तुर्की में शांति रैली के दौरान हुए धमाके में 86 लोगों की मौत

तुर्की में शांति रैली के दौरान हुए धमाके में 86 लोगों की मौत

वामपंथियों और कुर्दिश समूहों के समर्थकों द्वारा आयोजित एक शांति रैली के लिए एकत्र हुए लोगों को निशाना बनाकर आज तुर्की की राजधानी अंकारा में दो विस्फोट किए गए जिनमें कम से कम 86 लोगों की मौत हो गई।
तुर्की के विमान में बम की धमकी से दिल्ली में अफरा-तफरी

तुर्की के विमान में बम की धमकी से दिल्ली में अफरा-तफरी

बम की धमकी के बाद मंगलवार को बैंकॉक से इस्तांबुल जा रहे तुर्की एयरलाइंस के विमान की दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतररराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपात लैंडिंग कराई गई। सूत्रों ने बताया कि एयरबस 330 विमान दोपहर में करीब 1.41 बजे सुरक्षित उतरा।
फेसबुक से डरती है भारत सरकार?

फेसबुक से डरती है भारत सरकार?

सोशल नेटवर्किग वेबसाइट फेसबुक का कहना है कि साइट पर आने वाली विषयवस्तु पर प्रतिबंध की मांग सबसे ज्यादा भारत सरकार की तरफ से आती है।
बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

राष्‍ट्र¬भाषा होने का दावा करने वाली हिंदी के मीडिया से तो इसी राष्‍ट्र का हिस्सा माना जाने वाला मणिपुर अमूमन गायब ही होता है और उत्तर पूर्व में असम अगर यदा-कदा चर्चा में आता भी है तो बिहारियों, झारखंडियों पर उग्रवादी हमले के कारण या अरूणाचल प्रदेश की चर्चा होती है तो चीनी दावेदारी के हंगामें के कारण। हिंदी के एक्टिविस्ट संपादक प्रभाष जोशी के निधन के बाद की चर्चा में यह प्रसंग जरूर आया कि वह 5 नवंबर को नागरिकों की एक टीम के साथ मणिपुर जाना चाहते थे लेकिन यह टीम मणिपुर की जिन उपरोक्त परिस्थितियों के बारे में एक तथ्यान्वेषण मिशन पर वहां जा रही थी उसका जिक्र ओझल ही रहा। और जिस ऐतिहासिक अवसर पर यह टीम मणिपुर जा रही थी उसका जिक्र तो भला कितना होता? यह ऐतिहासिक अवसर था 37 वर्षीय इरोम शर्मिला के आमरण अनशन के दसवें वर्ष में प्रवेश का। गांधी और नेल्सन मंडेला की जीवनी सिरहाने रखे बंदी परिस्थितियों में इंफाल के एक अस्पताल में अनशनरत अहिंसक वीरांगना के नाक में टयूब के जरिये जबरन तरल भोजन देकर सरकार जिंदा रखे हुए है। अपढ़ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिता और अपढ़ माता की नौवीं संतान शर्मिला सन 2000 में असम राइफल्स के जवानों पर बागियों की बमबारी के जवाब में सशस्त्र बलों द्वारा एक बस स्टैंड पर 10 निर्दोष नागरिकों को भूने जाने की खबरें अखबारों में पढक़र और तस्वीरें देखकर तथा उन सुरक्षाकर्मियों को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के कारण सजा की कोई संभावना न जानकर इतना विचलित हुई कि उन्होंने इस तानाशाही कानून के खिलाफ आमरण अनशन का फैसला ले लिया।
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