प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों को आतंक और हिंसा मुक्त माहौल में द्विपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है।
देश भर में जोर-शोर से चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के बीच मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के बाढ़ गांव के 45 परिवार सरकार से पूछ रहे हैं कि मेरे शौचालय कहां है? निर्मल भारत अभियान के वेबसाइट पर उनके घरों में शौचालय बन चुके हैं, पर वे सभी आज भी खुले में शौच जाने के मजबूर हैं। उनके घरों में शौचालय ही नहीं है। वे अपने गायब शौचालय के लिए लगातार आवेदन दे रहे हैं, पर उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मंत्रिमंडल और आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी में एक भी महिला क्यों नहीं हैं? नारीवादी ऐक्टिविस्ट और भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने यह सवाल उठाकर केजरीवाल को घेरने की कोशिश की है।
चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?