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Search Result : "प्रो अख्तर उल वासे"

कुत्ते  की किस के  लिए फरहान के जतन

कुत्ते की किस के लिए फरहान के जतन

लोग अपनी गर्लफ्रेंड का किस पाने के लिए क्या-क्या जतन नहीं करते। एक बार उसके अधर चेहरे को छू जाएं इसके लिए नए-नए विचार अपनाते हैं। लेकिन फरहान अख्तर इन सबसे अलग हैं। वह एक कुत्ते को अपने चेहरे की ओर आकर्षित करने के क्या-क्या जतन करते रहे।
ठंडे बस्ते में गई फुकरे- 2

ठंडे बस्ते में गई फुकरे- 2

निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा इसी साल अपनी अगली हास्य फिल्म पर काम शुरू करेंगे और फिलहाल उन्होंने फुकरे के सीक्वल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
क्‍यों संभव नहीं है भूकंप की भविष्‍यवाणी

क्‍यों संभव नहीं है भूकंप की भविष्‍यवाणी

भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि जिन आंतरिक प्रक्रियाओं से पृथ्‍वी का निर्माण हुआ है, वहीं भूकंप का कारण हैं। भूकंप सदियों से आ रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे। इसकी भविष्‍यवाणी संभव नहीं है। हमें भूकंप के साथ जीना सीखना होगा।
माइकेल, एलीस और खुर्शीद का प्रेम त्रिकोण

माइकेल, एलीस और खुर्शीद का प्रेम त्रिकोण

युवाओं की पसंदीदा फिल्म कल हो न हो की लोकप्रियता इतने सालों बाद भी कायम है। इस फिल्म के प्रसिद्ध शीर्षक गाने पर जर्मनी के राजदूत माइकेल स्टाइनर, उनकी पत्नी एलीस स्टाइनर और भूतपूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने अभिनय किया है।
दिल धड़कने दो के ट्रेलर ने बटोरी तारीफ

दिल धड़कने दो के ट्रेलर ने बटोरी तारीफ

जोया अख्तर की बहुप्रतीक्षित फिल्म दिल धड़कने दो के बुधवार रात यहां जारी हुए ट्रेलर की रिषि कपूर, करण जौहर और श्रीदेवी जैसी बॉलीवुड हस्तियों ने सराहना की है।
बागी आपः स्वराज अभियान के मुखिया प्रो.आनंद कुमार

बागी आपः स्वराज अभियान के मुखिया प्रो.आनंद कुमार

आम आदमी पार्टी के बागी गुट ने स्वराज संवाद की घोषणा के बाद अपनी रणनीति का खुलासा किया। स्वराज संवाद अभियान शुरू करने के बाद प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पहली दफा मीडिया से रूबरू हुए।
हिंदी व्रत और उर्दू रोजा वालों की हो गई

हिंदी व्रत और उर्दू रोजा वालों की हो गई

हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शायर और फिल्म लेखक जावेद अख्तर ने श्रोताओं से रूबरू होते हुए कई राज जाहिर किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने 1976 तक उन्होंने शायरी शुरू नहीं की थी। उस वक्त वह 31 वर्ष के थे, जबकि इस उम्र में लोग शायरी कर चुके होते हैं। 12 वर्ष की उम्र तक उन्हें सैकड़ों और 15 वर्ष की उम्र तक उन्हें लाख से ज्यादा शेयर याद थे। वह अपने को खुशकिस्मत मानते हैं क्योंकि लखनऊ में अपने ननिहाल में उन्हें अपने मामा मजाज साहब समेत उस दौर के तमाम नामी शायरों का साथ मिला, जिनके साथ वह बच्चों की तरह रहे।
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