13 जुलाई के दिन भारतीय क्रिकेट में एक ऐसी इबारत लिखी गई जो आज भी हर क्रिकेट प्रेमी के जेहन में ताजा है। हम बात कर रहे हैं आज से 15 साल पहले लॉर्ड्स के मैदान में खेले गए नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल की। ये वही फाइनल था जिसमें भारत ने इंग्लैंड के मुंह से जीत छीनकर नेटवेस्ट सीरीज अपने नाम की थी और गांगुली ने जीत का जश्न अपनी टी-शर्ट उतारकर मनाया था, जिसे आज भी क्रिकेट फैंस याद करते हैं।
भारतीय टीम के तेज गेंदबाजों में शुमार जसप्रीत बुमराह ने टी-20 और चैम्पियन ट्राफी में बेहतर प्रदर्शन किया है। शानदार गेंदबाजी से खेल प्रेमियों की जुबां पर बुमराह का नाम है, लेकिन उभरते खिलाड़ी के दादा मुफलिसी की जिंदगी जी रहे हैं। वे उत्तराखंड के किच्छा में रहकर टैम्पो चलाने को मजबूर हैं।
भारतीय मूल के दो अमेरिकी लेखकों का चयन 30,000 पाउंड ईनामी राशि वाले वेलकम बुक प्राइज के लिए किया गया है। यह पुरस्कार स्वास्थ्य और चिकित्सा से संबंधित विषयों पर फिक्शन और नॉन फिक्शन कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है।
दिल्ली मेट्रो ने एक महीने के भीतर 200 गार्डर खड़े करके लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपनी जगह बना ली है। ये गार्डर नोएडा से ग्रेटर नोएडा गलियारे में खड़े किए गए हैं।
मेरा बेटा 26 दुश्मनों को मारने के बाद शहीद हुआ था। जब यह घटना घटी उस वक्त केंद्र में सरकार भाजपा की थी। उस दौरान हमसे कई तरह के वादे किए गए थे जो पूरे नहीं हुए और आज जब मेरी पोती गुरमेहर को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है तब भी सरकार भाजपा की है। यह दर्द है रामजस विवाद में चर्चा आई गुरमेहर कौर के दादा कंवलजीत सिंह का।
जर्मनी के एक इतिहासकार ने दावा किया है कि सन् 1900 की शुरूआत में अनिवार्य सैन्य सेवा करने में नाकाम रहने पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दादा को जर्मनी से बाहर निकाल दिया गया था।