पहले भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित इस्राइल यात्रा 1992 में शुरू हुई लंबी प्रक्रिया की तार्किक परिणति है, लेकिन ऐसे वक्त में हो रही है जब थोड़ा संतुलन साधने की जरूरत है।
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम पर करार की रूपरेखा को लेकर विश्व की प्रमुख शक्तियों एवं तेहरान के बीच हुए समझौते की सराहना करते हुए इसे ऐतिहासिक सहमति करार दिया है। दूसरी ओर इस्राइल ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि इससे उसके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि इस्राइल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू के साथ उनका कामकाजी किस्म का संबंध है जबकि इस बात को माना कि लंबित फलस्तीन मुददे को सुलझाने के लिए दो राष्ट्र के समाधान पर उनके बीच मतभेद है।
एकीकृत विपक्ष के तमाम विरोध और कई दिक्कतों के बीच इस्राइल के आम चुनाव में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी की जीत ने पश्चिम एशिया में शांति और सहयोग की उम्मीदों को धुंधला कर दिया है। यही वजह है कि नेतन्याहू की जीत के बाद जहां यूरोप ने ठंडी प्रतिक्रिया दी है वहीं इस्राइल के करीबी दोस्त अमेरिका ने भी कोई उत्साह नहीं दिखाया है।
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी चुनावों में जीत की ओर बढ़ रही है। इस्राइली मीडिया ने 99.5 प्रतिशत मतों की गिनती पूरी होने के साथ ही कहा कि लिकुड पार्टी को संसद, नेसेट की 120 सीटों में से 30 सीटें मिली हैं, जबकि इसकी मुख्य विरोधी मध्य-वाम जिओनिस्ट यूनियन एलायंस ने 24 सीटें हासिल की हैं।
क्या ईरान के मुद्दे पर अमेरिका और इस्राइल के दशकों पुराने संबंध फीके पड़ जाएंगे? क्या ईरान इन दोनों चिर मैत्री में बंधे देशों के बीच दरार डाल देगा? अगर इ्स्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के वर्तमान अमेरिका दौरे की घटनाओं को देखें तो आभास कुछ-कुछ ऐसा ही होता है।
हर मुद्दे पर चट्टान की तरह एक-दूसरे के पाले में खड़े होने वाले इस्राइल और अमेरिका के बीच ईरान के परमाणु समझौते को लेकर विवाद हो गया है। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी कांग्रेस में ऐतिहासिक संबोधन की पूर्व संध्या पर कहा कि तेहरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को कम करने को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच का समझौता इस्राइल के अस्तित्व के लिए खतरा साबित हो सकता है।