Advertisement

Search Result : "मुन्ना पांडेय की कहानी"

एक कवि का ‘मैं’ से ‘तुम’ हो जाना

एक कवि का ‘मैं’ से ‘तुम’ हो जाना

स्त्री अस्मिता को लेकर भारत में शुरू हुए स्त्रीवादी आंदोलनों और महिला अधिकारों की बहसों की शुरुआत के बाद से स्त्रीवादी कविता में उसके सरोकारों की भी बात होने लगी। हालांकि, उसके पहले भी स्त्रीवादी कविताएं लिखी जाती थीं, लेकिन तब उसमें स्त्री अधिकारों और सरोकारों की बातें कम होती थीं, स्त्री सौंदर्य और स्त्री प्रेम की बातें ज्यादा होती थीं।
मनोज कुलकर्णी की कहानी - औघड़ समय

मनोज कुलकर्णी की कहानी - औघड़ समय

मूलतः चित्रकार। अनेक चित्र-प्रदर्शनियों में कला-कृतियां चयनित, प्रदर्शित। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, कविताएं, रेखांकन, समीक्षाएं और कला-लेख प्रकाशित। एक कहानी-संग्रह के अलावा ‘जन-वाचन’ आंदोलन के लिए लिखी कुछ पुस्तकें प्रकाशित। जनवादी लेखक संघ की पत्रिका ‘नया-पथ’ के चित्रकला-विषेषांक के अलावा भारत ज्ञान विज्ञान समिति के लिए ‘ज्ञान विज्ञान वार्ता’ के कुछ अंकों और एक बाल पुस्तक माला का संपादन। बच्चों की किताबों के लिए रचनात्मक रेखांकन। कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों और पुस्तिकाओं के अनुवाद प्रकाशित। सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलनों से गहरा जुड़ाव। घुमक्कड़ी और फोटोग्राफी में गहरी दिलचस्पी।
हनीफ मदार की कहानी 'जश्न -ए-आजादी'

हनीफ मदार की कहानी 'जश्न -ए-आजादी'

‘हंस’, ‘वर्तमान साहित्य’, ‘परिकथा’, ‘उद्भावना’, ‘वागर्थ, ‘समरलोक, अभिव्यक्ति, सुखनवर, लोकगंगा, युगतेवर, लोक संवाद और दैनिक जागरण में कहानी प्रकाशित। कहानी संग्रह - ‘बंद कमरे की रोशनी।’ अनेक लेखकों की महत्वपूर्ण कृतियों की दर्जनों समीक्षाओं के अलावा नाट्य समीक्षाएं। नाटक एवं नाट्य रुपांतरण। प्रेमचंद, मंटो, ज्ञानप्रकाश विवेक आदि की कई कहानियों का नाट्य रुपांतरण ‘संकेत रंग टोली द्वारा मंचित। ‘जन सिनेमा द्वारा निर्मित एवं ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानी ‘कैद’ पर बनी हिंदी फिल्म के लिए पटकथा एवं संवाद लेखन।
केएस तूफान की कहानी - बुद्धिमत्ता

केएस तूफान की कहानी - बुद्धिमत्ता

3 जून 1944 को नजीबाबाद, जिला बिजनौर में जन्म। लहरों का संघर्ष लघुकथा संग्रह। स्वप्न भंग, टूटते संवाद कहानी संग्रह। नारी - तन मन गिरवी, कब तक (नारी विमर्श), सफाई का नरक (दलित विमर्श) और अंधेरे में रोशनी (दलित संघर्ष) पर निबंध संग्रह। कई पुरस्कारों से सम्मानित।
उर्दू अदब की कहानी,शायर हनफी की जुबानी

उर्दू अदब की कहानी,शायर हनफी की जुबानी

‘गजल एक लंबी यात्रा तय करती हुई, वस्ल की रात, महबूब की जुल्फें, हिज्र, सनम की बेरुखी, रुखसार, हुस्न और इश्क के सांचे से निकल चुकी है।‘ ऐसा कहना है कि उर्दू के मशहूर अफसानानिगार और गजलकार मुजफ्फर हनफी का। वह कहते हैं, ‘ लोग मानते हैं कि गजल औरतों से गुफ्तगू करने का नाम है, जो इश्कमिजाजी से लबरेज रहती है जबकि गजल अब विषय पर केंद्रित हो चुकी है। यहां तक कि गालिब जैसों ने भी विषयों पर गजलें लिखी है लेकिन यह अलग बात है कि गजल के उस रूप को तवज्जो कम मिली।
टेकचंद की कहानी - बछड़ा मरा हुआ

टेकचंद की कहानी - बछड़ा मरा हुआ

कहानी मोर का पंख के लिए राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान, हरियाणा दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ. आंबेडकर विशिष्ट सेवा सम्मान। अज्ञेय एक समग्र अवलोकन, दौड़ तथा अन्य कहानियां, मोर का पंख तथा अन्य कहानियां और भाषा साहित्य और सर्जनात्मकता नाम से पुस्तकें। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रद्धानंद महाविद्य़ालय में अध्यापन।
हुस्न तब्बसुम ‘निहां’ की कहानी - निर्मम अंधेरे

हुस्न तब्बसुम ‘निहां’ की कहानी - निर्मम अंधेरे

यह ऐसी नासमझी भरी दास्तां है, जो एक लड़की को कैसे अपने प्रेमी से बिछोह देती है और लोगों के बीच हंसी का पात्र बना देती है। यह एक लड़की के भोलेपन की कहानी है, जो दुनियादारी को नहीं समझती और अपने जीवन को लगभग खराब करने की स्थिति तक पहुंचा देती है। उसकी पढ़ाई छूट जाती है सो अलग। इस कहानी में लेखिका ने एक लड़की के जीवन की कई परतों पर एक साथ काम किया है।
स्त्री की मार्मिक दशा बयान करती कहानी - निकाह

स्त्री की मार्मिक दशा बयान करती कहानी - निकाह

लंबे समय से लेखन। लघु कथाओं पर विशेष काम। लघुकथा पर पहली पुस्तक, दिन अपने लिए सन 2014 में अयन प्रकाशन से प्रकाशित। इस पुस्तक के लिए दिल्ली हिंदी अकादमी से अनुदान प्राप्त। सात लघु कथा लेखकों के सम्मिलित कथा संग्रह खिड़कियों पर टंगे लोग पुस्तक में लघु कहानियां प्रकाशित।
अशोक मिश्र की कहानी: किरदार

अशोक मिश्र की कहानी: किरदार

सपनों की उम्र लघुकथा संग्रह। मीडिया का अंतर्पक्ष, संपादित पुस्तक। कहानी संग्रह दीनानाथ की चक्की शीघ्र प्रकाश्य। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से प्रकाशित पत्रिका बहुवचन के संपादक।
मात्र ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, अभिनंदन ग्रंथ

मात्र ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, अभिनंदन ग्रंथ

हिंदी के अनेक दुर्लभ ग्रंथ, पुरानी पुस्तकों की प्रति, पत्रिकाओं की पुरानी फाइलें अब उपलब्‍ध नहीं हैं। इस कारण देश के विश्वविद्यालयों में शोध कार्य प्रामाणिक ढंग से नहीं हो पाते और साहित्य में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर गड़बड़ियां बनी रहती हैं। इस कमी को देखते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने सन 1933 में प्रकाशित द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ को दोबारा प्रकाशित कर अच्छा काम किया है। लेकिन जिस तरह हड़बड़ी और असावधानी में यह ग्रंथ प्रकाशित किया गया है उसे लेकर चिंता होती है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement