आंग सान सू ची की पार्टी ने 8 नवंबर को हुए चुनावों के अब तक आए नतीजों में संसदीय बहुमत हासिल कर लिया है। केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से अब तक जारी किए गए चुनाव परिणाम में शासन के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत हासिल करने में एनएलडी सफल रही। पार्टी अब तक 348 संसदीय सीटें जीत चुकी है और कई सीटों के नतीजे घोषित होने अभी बाकी हैं।
म्यांमार के सेना प्रमुख के बाद अब देश के राष्ट्रपति ने भी आंग सान सू ची की पार्टी को राष्ट्रीय चुनाव में भारी जीत हासिल करने पर बधाई दी है और सत्ता के निर्बाध हस्तांतरण का वादा किया है। म्यांमार में लगभग 50 साल से सेना का प्रभुत्व रहा है।
म्यांमार के चुनाव में अपनी लोकतंत्र समर्थक पार्टी के ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ने के साथ आंग सान सू ची ने राष्ट्रपति और वहां की शक्तिशाली सेना के साथ राष्ट्रीय सुलह की बातचीत का आह्वान किया।
म्यांमार के चुनावों में भारी जीत की ओर बढ़ती दिखाई दे रही विपक्षी पार्टी ने सरकारी चुनावी पैनल पर जानबूझकर नतीजों में देरी करने का आरोप लगाया है। आंग सान सू की की पार्टी ने कहा है कि शायद चुनावी पैनल कुछ तरकीब लड़ाना चाहता है।
म्यांमार का राष्ट्रपति बनने से रोक लगने के बावजूद म्यांमार में लोकतंत्र की नायिका आंग सान सू की ने आज कहा कि अगर रविवार को हुए चुनाव में उनकी पार्टी जीतती है तो वह सरकार चलाएंगी। इस देश में पूर्व में सैन्य शासन था।
पाकिस्तान के सीनेट अध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि सेना ने अगर फिर से तख्ता पलट करने की कोशिश की तो उसे संवैधानिक तरीके से रोका जाएगा। पाकिस्तान में सेना द्वारा तख्ता पलट किए जाने की कई घटनाएं हो चुकी हैं और आजादी के बाद से अब तक 68 साल में से लगभग आधे समय देश में सैन्य शासन रहा है।
पाकिस्तान के सीनेट अध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि सेना ने अगर फिर से तख्ता पलट करने की कोशिश की तो उसे संवैधानिक तरीके से रोका जाएगा। पाकिस्तान में सेना द्वारा तख्ता पलट किए जाने की कई घटनाएं हो चुकी हैं और आजादी के बाद से अब तक 68 साल में से लगभग आधे समय देश में सैन्य शासन रहा है।
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (आई एम) के साथ शांति समझौता अशांत उत्तर पूर्व के, खासकर मणिपुर के टंखुल नगा बहुल इलाके में जहां उपरोक्त गुट का आधार है, एक हिस्से में शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन इसके बाद अभी बहुत-सी जटिलताएं और चुनौतियां बाकी हैं। एनएससीएन (आईएम) का जनाधार नगालैंड के पड़ाेसी राज्यों में ज्यादा होने की वजह से असम और मणिपुर के एक तबके में यह आशंका बलवती हो रही है कि उनके राज्य के नगा बहुल इलाकों की बाबत किस कीमत पर फैसला हुआ है।
एक चौथाई शताब्दी से भी ज्यादा समय से परेश बरुआ भारतीय सेना और पुलिस को चकमा देकर बचते आ रहे हैं। यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ वेस्ट साउथ ईस्ट एशिया (युएनएलएफडब्ल्यूएसइए) के गठन में प्रमुख भूमिका निभानेवाले और अभी के समय भारतीय सेना के विरुद्ध आक्रामक रुख रखे हुए प्रतिबंधित संगठन उल्फा के सेनापति बरुआ का एनएससीएन(के) के अध्यक्ष एस.एस. खापलांग से घनिष्ठ संबंध है।