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म्यांमार के राष्ट्रपति ने लिया शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन का संकल्प

म्यांमार के सेना प्रमुख के बाद अब देश के राष्ट्रपति ने भी आंग सान सू ची की पार्टी को राष्ट्रीय चुनाव में भारी जीत हासिल करने पर बधाई दी है और सत्ता के निर्बाध हस्तांतरण का वादा किया है। म्यांमार में लगभग 50 साल से सेना का प्रभुत्व रहा है।
म्यांमार के राष्ट्रपति ने लिया शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन का संकल्प

पहले शासन की बागडोर सीधे तौर पर जुंटा के हाथ में रही और फिर वर्ष 2011 से इनके सहयोगियों की अर्द्ध-असैन्य सरकार ही सत्ता में रही। लेकिन रविवार को हुए चुनाव के बाद अब तक जितनी सीटों के नतीजे आए हैं, उनमें से 85 प्रतिशत से अधिक सीटों पर सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को जीत हासिल हुई है। लंबे समय तक चले लोकतांत्रिक संघर्ष के बाद हासिल हुई इस भारी जीत में एनएलडी सत्ता का संतुलन साधने के करीब है।

 

फेसबुक पर कल जारी किए गए बयान में राष्ट्रपति थीन सीन ने कहा, हम सू ची को जनता की सहमति जीतने के लिए मुबारक देना चाहेंगे। सीन की पार्टी ने हालिया सुधार शुरू किए हैं। अपने बयान में उन्होंने कहा, सरकार के रूप में हम चुनावी नतीजों का सम्मान करेंगे और इन्हें मानेंगे और सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्वक होगा। एनएलडी को अब तक 256 सीटें हासिल हुई हैं। बहुमत हासिल करने में 70 से कुछ ही अधिक सीटें और चाहिए। लेकिन चूंकि आज अन्य सीटों पर आधिकारिक नतीजे घोषित होने हैं,  ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि यह पार्टी इस आंकड़े को छू लेगी।

 

सू ची ने कल ताकतवर सेना प्रमुख मिन आंग लियांग और थीन सीन के साथ राष्ट्रीय मैत्री वार्ता का आह्वान किया था। साथ ही उन्होंने शांतिपूर्ण हस्तातंरण आवश्यक्ता पर भी जोर दिया था। मिन आंग लियांग और थीन सीन केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा चुनावों के पूरे नतीजों की घोषणा किए जाने के बाद चर्चा करने पर राजी हो गए हैं। सेना प्रमुख ने सू ची को बहुमत हासिल करने के लिए फेसबुक पर बधाई भी दी। निचले सदन के स्पीकर और पूर्व जनरल श्वे मान ने भी वार्ता के न्यौते को स्वीकार कर लिया है। एक समय पर उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए एक समझौते के तहत खड़ा किया गया संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था।

 

इनके बयानों से एनएलडी के कई समर्थकों का डर खत्म होने की उम्मीद है जिन्हें लोकतांत्रिक आंदोलनों पर पूर्व में की गई कार्रवाइयों के कारण सेना और उसके राजनीतिक सहयोगियों पर गहरा संदेह रहता है। उन कार्रवाइयों में सैंकड़ों लोग मारे गए थे और हजारों को जेल हुई थी। सू ची की पार्टी को वर्ष 1990 के चुनाव में भारी जीत हासिल हुई थी लेकिन सेना ने इन नतीजों को नजरअंदाज कर दिया और सत्ता पर अपनी पकड़ को और अधिक मजबूत कर लिया।

 

लोकतंत्र समर्थक नेता सू ची के सत्ता के रास्ते में एक बड़ी अड़चन है। यह अड़चन वर्ष 2008 में सेना द्वारा लिखा गया संविधान है। संविधान के अनुसार, विदेशी बच्चों या विदेशी पति वाला कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर आसीन नहीं हो सकता। सू ची के बेटे और दिवंगत पति ब्रितानी मूल के हैं। सू ची के पति का निधन ब्रिटेन में हो गया था। उस समय यह म्यांमार में नजरबंद थीं। इसके अलावा सेना को बिना किसी चुनाव के संसद की 25 प्रतिशत सीटें हासिल हैं। साथ ही म्यांमार के सुरक्षा तंत्रों पर भी सेना का ही नियंत्रण है। इसक अर्थ यही हुआ कि एनएलडी को भारी समर्थन मिलने के बावजूद सेना के हाथ में व्यापक ताकत रहेगी।

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