भारत का पहला एकीकृत रक्षा संचार नेटवर्क गुरुवार को दिल्ली में शुरू किया गया। इसकी मदद से थलसेना, वायु सेना, नौसेना और विशेष बल कमान शीघ्र निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए परिस्थिति के अनुसार जानकारी साझा करेंगे।
रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सुधार के बाद सरकार द्वारा संचालित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ का कहना है कि वह विदेशी कंपनियों के साथ न सिर्फ प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है बल्कि अपने उत्पादों के निर्यात को भी तैयार है।
आर्थिक सुधारों को गति देते हुए सोमवार को मोदी सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (एफडीआई पॉलिसी) में कई बड़े बदलावों का ऐलान किया। नागरिक उड्डयन और रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी गई है।
भारत के स्वदेशी बुनियादी प्रशिक्षण विमान हिन्दुस्तान टर्बो ट्रेनर..40 (एचटीटी..40) ने शुक्रवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की उपस्थिति में प्रारंभिक उद्घाटन उड़ान भरी। दो सीटों वाले इस विमान का डिजाइन और विकास हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड ने किया है।
हथियारों की दलाली को लेकर लगभग 30 वर्षों तक राजनीति करने वालों ने आखिरकार दिमाग ही नहीं बदला, नियम-कानून भी बदल दिये। राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार ने हथियारों से सौदों में किसी भी तरह के दलाल और दलाली पर प्रतिबंधात्मक कड़ा कानून बना दिया था और दुनिया के देशों को कहा गया कि रक्षा संबंधी समझौते और खरीदी सीधे सरकारों के माध्यम से ही होगी।
विदेशी रक्षा कंपनियां अब सशस्त्र सेनाओं तथा सरकार को अपने उत्पादों के विपणन के लिए एजेंट नियुक्त कर सकती हैं। हालांकि इसके लिए निगरानी के कड़े प्रावधानों का प्रस्ताव किया गया है जिनमें कंपनी को अपने खातों को जांच के लिए सरकार को उपलब्ध कराना होगा।
हाल ही में बलूचिस्तान में हुए एक अमेरिकी ड्रोन हमले में अफगान तालिबान प्रमुख मुल्ला मंसूर के मारे जाने से द्विपक्षीय संबंधों में आए तनाव तथा बढ़ते भारत-अमेरिका रणनीतिक सहयोग को लेकर कड़ी चिंता जताए जाने के बीच एक उच्च स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल आज पाकिस्तान पहुंचा।
कंबोडिया सरकार के अंगकोर सलाहकार प्रो. सच्चिदानंद सहाय खमेर इतिहास में टूटी हुई कड़ियों को जोड़ना चाहते हैं। वह यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में इस बारे में एक व्याख्यान के सिलसिले में आए थे। उन्होंने कहा, दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया को विभिन्न महाद्वीपों में उसके प्राचीनतम अंगकोर मंदिरों के लिए जाना जाता है। वास्तुकला के मामले में यह मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु के पल्लव और चोल मंदिरो के समान है लेकिन यह कहानी का सिर्फ एक पहलू है।