रुस्तम देखते हुए कई बातें दिमाग में एक साथ चलती हैं। सन 1959 में नानावटी केस पर बनी इस फिल्म को देखते हुए लगता है कि संपादन नीरज पांडे की फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत है। शायद यही वजह है कि रुस्तम की धीमी कहानी भी पकड़ छूटने नहीं देती।
अब तक जो लोग अर्जुन कपूर को गंभीरता से नहीं ले रहे थे अचानक उन लोगों की दिलचस्पी अर्जुन कपूर में हो गई है। अब फिल्मी दुनिया उन्हें छुपा रुस्तम मान रही है।