कवि, कथाकार, कला समीक्षक, अनुवादक। यात्रा लेखक। इन सभी विधाओं में कई पुस्तकें प्रकाशित। सद्य प्रकाशति ग्लोब और गुद्ब्रबारे तथा स्मृतियां बहुतेरी। संगीत नाटक अकादेमी की पत्रिका संगना के संपादक।
उनकी मुंदी आंखों के नीचे अंधेरे की गाढ़ी परत बिछी हुई थी। सरकारी अस्पताल के उस आईसीयू में गुजरे जमाने के मशहूर गवैए उस्ताद इकराम मुहम्मद खान को उनकी जिंदगी आखरी सलामी देने की तैयारी कर रही थी।