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Search Result : "शबनम की फांसी"

नीतीश कटारा के हत्यारों को नहीं होगी फांसी

नीतीश कटारा के हत्यारों को नहीं होगी फांसी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, संभवतः नीतीश और भारती यादव अपने दोस्त की शादी में जिस तरह डांस कर रहे थे उसने भारती के भाइयों विकास और विशाल को गुस्सा दिला दिया और उन्होंने नीतीश का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी।
आजादी विशेष | निजी कानून से निजात की छटपटाहट

आजादी विशेष | निजी कानून से निजात की छटपटाहट

मुसलमान औरत के दिल में आजादी की तड़प की थाह लेने की जब-जब कोशिश की गई है तो भीतर ज्वालामुखी की तपिश को महसूस किया गया। वे भी यह जताने को बेसब्र हैं कि वे भी मुकम्‍मल आजादी की तलबगार हैं। वे नहीं चाहतीं कि उनके शौहर को एक से अधिक निकाह करने का हक हो। वे तलाक-तलाक-तलाक यानी मुंह जबानी तलाक के खिलाफ हैं।
आजादी विशेष | इन कानूनों में अब भी बंधे हम

आजादी विशेष | इन कानूनों में अब भी बंधे हम

आजादी के 68 साल के जश्न के बीच आजादी का अहसास किन-किन बंद तालों से आज भी टकरा रहा है, इसकी पड़ताल की जरूरत बेहद शिद्दत से महसूस की जा रही है। ये ताले जब कानूनों के हों तो फिर आजादी की तड़प बंद पिंजरे में फडफ़ड़ाती है।
आजादी विशेष | हमारी चेतना पर धब्बा है फांसी: युग चौधरी

आजादी विशेष | हमारी चेतना पर धब्बा है फांसी: युग चौधरी

देश में फांसी की सजा के खिलाफ अभियान चलाने वाले बॉम्बे उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं युग मोहित चौधरी। फांसी के फंदे पर झूलने वाले अभियुक्त के लिए एक अंतिम आस के तौर पर युग चौधरी का नाम आता है।
याकूब की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार का इस्तीफा

याकूब की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार का इस्तीफा

मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी दिए के फैसले की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक डिप्टी रजिस्ट्रार ने इस्‍तीफा दे दिया है। उनके इस कदम से मृत्‍युदंड और याकूब की फांसी को लेकर चल रही बहस तेज हो गई है।
फांसी की शर्मनाक छाया

फांसी की शर्मनाक छाया

मौत की सजा के जरिये अपराध की रोकथाम का लक्ष्य विफल हो चुका है। शोध यह साबित करने में लगातार विफल रहे हैं कि मौत की सजा से अपराध पर रोक लगती है।
कलाम, याकूब और औसत मानस का मानचित्र

कलाम, याकूब और औसत मानस का मानचित्र

30 जुलाई को दो बहुचर्चित जनाजे निकले। एक खुले समुंदर के पास रामेश्वरम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ, तिरंगे में लिपटा। दूसरा, नागपुर केंद्रीय कारावास की कालकोठरी से निकाल फंदे पर झुला कर कब्रिस्तान के लिए रुखसत किया गया। एक सिंहासन चढ़ि चला तो एक बंधा जंजीर। काल की दो लीलाएं। मृत्यु के दो थिएटर। लेकिन एक ही देश के दो नागरिक, एक ही मजहब के दो लोग। हालांकि मृत्यु पूर्व जीवन के दो अलग-अलग रंगमंच। अब्दुल कलाम अपने रंगमंच पर भारतीय राज्य प्रतिष्ठान के हीरो और याकूब मेमन भारतीय राज्य प्रतिष्ठान का मुजरिम तो मुजरिम, विलेन भी। पहले को मौत के बाद भी मुख्यधारा जनमानस और सूचना-प्रचार तंत्र से ‘अमर रहे’ और ‘जिंदाबाद’ की विदाई। दूसरे के लिए मौत के पहले ही उसी मानस और तंत्र से ‘फांसी दो, फांसी दो’ तथा ‘मुर्दाबाद’ की गूंज जिसके आगे न्यायपालिका भी नतमस्तक हो गई।
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