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Search Result : "शिक्षा का नोबल"

गैर-बराबरी, गरीबी से लोकतंत्र को खतरा | डीटन, नोबेल सम्‍मानित अर्थशास्‍त्री

गैर-बराबरी, गरीबी से लोकतंत्र को खतरा | डीटन, नोबेल सम्‍मानित अर्थशास्‍त्री

मैं अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में दिए जाने वाले स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार, 2015 से पुरस्कृत किए जाने को ले‌कर रोमांचित हूं। मैं इसे लेकर ज्यादा रोमांचित हूं कि नोबेल समिति ने भारत पर किए गए मेरे और मेरे सहयोगियों के कार्य को रेखांकित किया है।
गरीबी के बारे में डीटन ने बढ़ाई है अर्थशास्त्र की समझ

गरीबी के बारे में डीटन ने बढ़ाई है अर्थशास्त्र की समझ

इस साल अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ऐंगस डीटन ने भारत में गरीबी, कीमतें, पोषण और स्तरीय जीवनशैली के क्षेत्र में जबर्दस्त योगदान किया है। दरअसल भारत के बारे में उनका कामकाज उनके संपूर्ण जीवन के कार्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बतरा के भगवा एजेंडे पर हरियाणा की स्कूली शिक्षा

बतरा के भगवा एजेंडे पर हरियाणा की स्कूली शिक्षा

गुजरात के सरकारी स्कूलों के बाद अब हरियाणा के सरकारी स्कूलों में भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) समर्थित दीनानाथ बतरा की किताबें पढ़ाई जाएंगी। ‘नैतिक विज्ञान’ विषय नाम से ये किताबें तमाम सरकारी स्कूलों में अगले सत्र से लागू कर दी जाएंगी। दीनानाथ बतरा ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन’ के कनवीनर हैं। माना जाता है कि यह आरएसएस समर्थित आंदोलन है।
शिक्षा मंत्री की पत्नी की जगह दूसरी महिला दे रही थी परीक्षा

शिक्षा मंत्री की पत्नी की जगह दूसरी महिला दे रही थी परीक्षा

जैसे ही महिला को पकड़े जाने का अंदेशा हुआ वह परीक्षा कक्ष से भाग गई। महिला और शांति कश्यप द्वारा जमा की गई तस्वीरों का मिलान किया गया, इससे साफ हो गया कि छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी की जगह कोई और महिला परीक्षा दे रही थी।
प्राइवेट स्‍कूलों का राष्‍ट्रीयकरण क्‍यों जरूरी?

प्राइवेट स्‍कूलों का राष्‍ट्रीयकरण क्‍यों जरूरी?

भारत में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का कानून लागू है। सरकारी कार्यालयों में चाय पहुंचाते बच्चों को देख कर ये बखूबी जाना जा सकता है कि हमारे देश में ये कानून किस तरह लागू है। शिक्षा न तो निशुल्क है और न ही अनिवार्य। निजी विद्यालयों में मोटी फीस वसूलते हैं, सरकारी विद्यालय भी किसी न किसी बहाने कुछ पैसा वसूल ही लेते हैं।
संस्कृत सहित कई भाषाओं को अनिवार्य बनाने पर संघ सक्रिय

संस्कृत सहित कई भाषाओं को अनिवार्य बनाने पर संघ सक्रिय

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े एक संगठन ने शिक्षा नीति में बदलाव कर संस्कृत या अन्य शास्त्रीय भाषाओं जैसे अरबी, फारसी, लैटिन और ग्रीक को कम से कम चार वर्ष तक स्कूली शिक्षा में अनिवार्य बनाने की सलाह दी है।
इंटरपोल में भी ललित मोदी के कनेक्‍शन

इंटरपोल में भी ललित मोदी के कनेक्‍शन

ललित मोदी के खिलाफ इंटरपोल की कार्रवाई के दावों पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। इंटरपोल के पूर्व प्रमुख रोनाल्‍ड नोबल ने कहा है कि ललित मोदी के खिलाफ किसी तरह का नोटिस जारी करने के लिए भारत सरकार ने कोई आग्रह नहीं किया और न ही कोई सबूत सौंपा। इस बीच ललित मोदी के साथ सार्वजनिक हुई नोबल की तस्‍वीरों ने भी खलबली मचा दी है।
विदेशी दाताओं के बहाने ज्ञान और विकास पर हमला

विदेशी दाताओं के बहाने ज्ञान और विकास पर हमला

मीडिया में आई खबरों के अनुसार, गृह मंत्रालय भारतीय एनजीओ को मिलने वाले विदेशी अनुदान पर नियम-कायदों का शिकंजा कसने के लिए एक नया तंत्र विकसित करने जा रहा है, जिसकी घोषणा 15 जून तक हो सकती है। इस नई नियामक व्‍यवस्‍था में खुफिया ब्‍यूरो, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और गृह मंत्रालय की एफसीआरए विंग के बीच मजबूत तालमेल रहेगा। विदेशी अनुदान हासिल करने वाले सभी गैर-सरकारी संगठनों को एक वेबसाइट बनानी होगी और फंड हासिल करने के 48 घंटे के अंदर इसकी जानकारी सार्वजनिक कर अपनी गतिविधियों और सहयोगी संस्‍थाओं की पूरी जानकारी देनी पड़ेगी।
उच्‍च शिक्षा पर एक नया संकट

उच्‍च शिक्षा पर एक नया संकट

उच्च शिक्षा या शिक्षा मात्र विचारहीनता के संकट से गुजर रही है। अभी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सारे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को फरमान जारी किया है कि वे चयन आधारित क्रेडिट व्यवस्था वाले पाठ्यक्रम 2015-16 से लागू करें। यह एक असाधारण आदेश है। विश्वविद्यालयों में क्या पढ़ाया जाएगा, क्या नहीं, यह तय करना आयोग के अधिकार-क्षेत्र से बाहर है। फिर भी, न सिर्फ उसने यह हुक्म जारी किया है, बल्कि अपने वेबसाईट पर उसने अनेक विषयों के पाठ्यक्रम बनाकर लगा भी दिए हैं। विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे इन्हें तुरंत लागू करें। इनमें बीस प्रतिशत की हेर-फेर करने की छूट उन्हें है। यह अभूतपूर्व है और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में सीधा हस्तक्षेप है। मज़ा यह है कि आयोग यह नहीं बता रहा कि आखिर ये पाठ्यक्रम तैयार किन्होंने किए हैं! स्वाभाविक है कि उसके इस कदम का शिक्षकों की ओर से कड़ा विरोध हो रहा है।
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