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राजीव शुक्ला पर  जांच की आंच

राजीव शुक्ला पर जांच की आंच

कांग्रेस नेता और आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला के विरूद्घ शिकायत मिलने पर प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉर्डिंग की प्रारंभिक जांच पड़ताल शुरु कर दी है।
रंगीले ‘राजा’ की देश छोड़कर भागने की क्या है कहानी

रंगीले ‘राजा’ की देश छोड़कर भागने की क्या है कहानी

देश के सत्रह बैकों का 7 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज चुकाए बिना यूनाइटेड ब्रेवरिज ग्रुप के चेयरमैन विजय माल्या देश छोडक़र ब्रिटेन चले गए हैं। मामले का खुलासा तब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट में सरकारी बैंकों के कंसोर्शियम की अर्जी पर सुनवाई हो रही थी। उसी दौरान सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल ने बताया कि माल्या दो मार्च को ही भारत छोड़ चुके हैं जबकि बैंकों की ओर से यह अर्जी दी गई थी कि माल्य का पासपोर्ट जब्त किया जाए और देश छोडऩे की इजाजत न मिले। इस बात को लेकर कोर्ट ने बैंकों से कहा कि वो माल्या को नोटिस भेज सकते हैं और उनके भारत आने के लिए कह सकते हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को निर्धारित की है। इसके अलावा माल्या के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉड्रिंग की जांच भी शुरू कर दी है।
काले धन की 'बाजीगरी’ का खतरनाक होता खेल

काले धन की 'बाजीगरी’ का खतरनाक होता खेल

मुनाफा महज कुछ हजार रुपये लेकिन 'कॉरपोरेट दान’ करोड़ों में। कोलकाता के अनजाने से कोने में एक कंपनी तीन साल से कुछ इसी तरह अपना काम कर रही थी। अब इस कंपनी समेत कई और के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और आर्थिक अपराध से जुड़ी कई और जांच एजेंसियों ने फाइलें खोल दी हैं।
गांव गरीब की मटकी में मीठा, कारोबारियों की थाली में मलाई

गांव गरीब की मटकी में मीठा, कारोबारियों की थाली में मलाई

देश में सरकार की चौतरफा हो रही आलोचना के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जब वर्ष 2016-17 का बजट प्रस्तुत करने 29 फरवरी को लोकसभा में खड़े हुए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी सरकार दम साधे यह देख रही थी आखिर यह बजट उन्हें जनता के बीच खड़े होने का भी मौका देगा या नहीं। लेकिन जेटली सब तय करके बैठे थे और उन्होंने बजट भाषण की शुरुआत ही इन पंक्तियों से करके अपने इरादे जता दिए थे: 'कश्ती चलाने वाले ने जब हार के दी पतवार हमें लहर-लहर तूफान मिले और मौज-मौज मंझधार हमें फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको इन हालात में आता है दरिया पार करना हमें
चर्चा : कॉलेज परिसर में घूस का पाप। आलोक मेहता

चर्चा : कॉलेज परिसर में घूस का पाप। आलोक मेहता

लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र ने शिक्षक द्वारा रिश्वत लेने के दबाव से तंग आकर आत्महत्या कर ली। छात्र को कक्षा में उप‌स्थिति के रिकॉर्ड के आधार पर परीक्षा प्रवेश पत्र मिलने से शिक्षक रोक रहा था। छात्र ने एक बार 20 हजार रुपया दे भी दिया और घूसखोर शिक्षक ने ज्यादा रकम मांगी। ऐसी मानसिक प्रताड़ना संपूर्ण शिक्षा-व्यवस्था और शासकीय तंत्र के लिए शर्मनाक है।
दनकौर में घटा है अनीमिया का ग्राफ

दनकौर में घटा है अनीमिया का ग्राफ

लाला लाजपत राय कन्या इंटर कॉलेज, दनकौर की इमारत यूं तो खासी कमजोर दिखाई दे रही थी, लेकिन इसमें पढ़ने वाली लड़कियों और इस स्कूल को चलाने वाली प्रिसिंपल के इरादे काफी मजबूत दिखे। बेहद कम सुविधाओं वाले इस सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में पहली से बारहवीं कक्षा तक लड़कियां अच्छी तादाद में पढ़ रही हैं। ये लड़कियां मध्यम और पिछड़े तबके की हैं और अच्छी बात ये है कि हिंदु और मुसलमान दोनों हैं।
ऐसे आएंगे संस्‍कृत के अच्‍छे दिन, समिति ने दी सिफारिशें

ऐसे आएंगे संस्‍कृत के अच्‍छे दिन, समिति ने दी सिफारिशें

संस्कृत विश्वविद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के लिए विशेष अनुदान देने के साथ-साथ सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि स्‍कूलों में संस्‍कृत पढ़ाने वाले अध्यापकों को अन्य विषय पढाने वाले शिक्षकों के समान वेतन मिलना चाहिए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने इस तरह की कई सिफारिश की हैं।
दलितों और मुस्लिमों के पिछड़ेपन की अहम वजह है भेदभाव: थोराट

दलितों और मुस्लिमों के पिछड़ेपन की अहम वजह है भेदभाव: थोराट

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट ने दूसरे वर्गों के मुकाबले दलितों और मुसलमानों के शिक्षा, रोजगार एवं राजनीतिक प्रतिनिधित्व में पिछड़े होने का दावा करते हुए शनिवार को कहा कि इस पिछड़ेपन की सबसे बड़ी वजह इन दोनों समुदायों के साथ होने वाला कथित भेदभाव है।
निजी कोचिंग सेंटर शिक्षा का संगठित माफिया

निजी कोचिंग सेंटर शिक्षा का संगठित माफिया

जिसका मन करता है, वह चार कुर्सी-टेबल लगा कर कोचिंग सेंटर खोल लेता है क्योंकि हमारे देश में स्कूल खोलना मुश्किल काम है। स्कूल खोलने के लिए कई औपचारिकताएं होती हैं, जिसे हर कोई पूरा नहीं कर सकता है लेकिन निजी कोचिंग सेंटर के लिए कुछ नहीं करना होता। इसके लिए देश में कोई रेगुलेटरी बोर्ड नहीं। कोचिंग सेंटर्स शिक्षा का रैकेट और संगठित माफिया है। इनके बड़े-बड़े होर्डिंग्स, विज्ञापन छात्रों को आकर्षित करते हैं। शिक्षकों को लगता है कि स्कूल या कॉलेज में क्यों पढ़ाना? वे स्कूल-कॉलेज में वे ट्रिक्स नहीं देते जो कोचिंग सेंटर में देते हैं। कोई नहीं जानता कि देश में कितने कोचिंग इंस्टीट्यूट्स हैं, ये सालाना कितने करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं।
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