अयोध्या के विवावादास्पद ढांचा विध्वंस की 24 वीं बरसी पर यहां कड़ी सुरक्षा में लोग राम लला के दर्शन कर रहे हैं। मंदिर के आसपास सुरक्षा बलों के जवान अतिरिक्त चौकसी बरत रहे हैं। दूसरी ओर देश के कई हिस्सों में बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठन शौर्य दिवस मना रहे हैं तो मुसलमानों से जुड़े संगठनों द्वारा भी विरोध दिवस मनाने की सूचना है।
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खां ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी को सार्वजनिक मंच पर जय श्रीराम के साथ-साथ नारा-ए-तकबीर और वाहे गुरु का खालसा का नारा भी लगाना चाहिये।
आतंकवाद के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उसे आतंकवाद के पोषण की भूमि करार दिया जिससे दुनिया भर के आतंकी मॉड्यूल जुड़े हैं। उन्होंने ब्रिक्स देशों के नेताओं से कहा कि वे इस खतरे से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करें।
भाजपा की लंबे समय से सहयोगी शिवसेना ने लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दशहरा मनाने की योजना पर कटाक्ष किया है। शिवसेना ने कहा है कि लखनऊ जाकर मोदी अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने की घोषणा करें।
सिविल सेवा परीक्षा यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हो गया है। दिल्ली की छात्रा और लेडी श्रीराम कालेज से स्नातक टीना डाबी ने टॉप किया है। वहीं जम्मू-कश्मीर के छात्र अतहर आमिर उल शफी खान दूसरे नंबर पर हैं। दिल्ली के ही जसमीत संधू को तीसरी रैंक मिली है।
भारतीय और विश्व सिनेमा ऐसा समुद्र है जिसमें जितने गोते लगाए जाएं, डूबते ही जाते हैं। हर साल पूरे विश्व में हजारों की संख्या में फिल्में बनती हैं, कुछ हिट होती है कुछ फ्लॉप और कुछ समय पर अंकित हो जाती है। कोई फिल्म फ्लॉप है इसका मतलब यह नहीं कि उसमें कुछ नहीं था। कभी-कभी फिल्में नहीं चलतीं और दर्शकों के दिल पर छाप छोड़ जाती हैं। कुछ खास फिल्मों की सूची आउटलुक के लिए लेखक और आलोचक अनुपमा चोपड़ा, लेखक और फिल्म इतिहासकार जय अर्जुन सिंह, फिल्मकार और आलोचक श्रीनिवास भाष्यम और फिल्म निर्देशक श्रीराम राघवन ने बनाई है। इन फिल्मों को जरूर देखिए। यह फिल्म सूची की पहली किस्त है। कल जानिए दूसरी किस्त में कुछ और खास फिल्में
पुराने दौर की मराठी फिल्म ‘सामना’ के चालीस साल पूरे हो गए है। इस मौके पर फिल्म से जुड़े लोगों ने अपनी यादें ताजा की। इस फिल्म को बर्लिन फिल्म फेस्टीवल में खूब सराहना मिली थी
बदलापर फिल्म से इतन तो साफ है कि भारत में आजकल फिल्में सिर्फ बनने के लिए ही बन रही है। दर्शकों के लिए उसमें कुछ तथ्य होना चाहिए इस पर सोचना शायद निर्माता-निर्देशक बंद कर चुके हैं। कुछ ट्विस्ट एंड टर्न देकर लगता है एक फिल्म में बस यही होना काफी है।