अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), यानी भारत के गरीब और आम बीमार आदमी का मक्का-मदीना। देश भर के गरीबों के लिए बड़ी से बड़ी बीमारियों से लड़ने का आखिरी मुकाम। अक्सर यह बड़े नेताओं के इलाज करवाने की वजह से भी चर्चा में रहता है। एक बार फिर इसका चरित्र बदलने की कवायद चल रही है। एक बार फिर इसे रईसों, सुविधा संपन्न बीमारों के लिए चमचमाने की कोशिश हो रही है। यह पूछने की जरूरत नहीं है कि ऐसा आम मरीजों के इलाज और विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए आने वाले पैसे से ही करने की तैयारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित आलोचना पर छात्रों के एक संगठन की मान्यता रद्द कर दिए जाने के विरोध में यहां आईआईटी मद्रास के बाहर एक सड़क को बंद करने का प्रयास करने के लिए वामपंथी छात्रा संगठन डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के कई कार्यकर्ताओं को आज हिरासत में ले लिया गया।
बुंदेलखण्ड के महोबा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना की मांग को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए इस क्षेत्र मुसलमानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संस्कृत में पत्र लिखने की मुहिम शुरू की है।
गुजरात स्थित एक अनुसंधान संस्थान ने पदार्थ के चौथे रूप प्लाज्मा को स्थिर अवस्था सुपर कंडक्टिंग टोकामक (एसएसटी-।) में रोक कर रखने में अहम सफलता मिलने का दावा किया है।
इस्पात मंत्राालय के अधीन आईआईटी की तरह राष्ट्रीय महत्व का एक संस्थान स्थापित करने के लिये विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जा सकता है। बजट सत्र का दूसरा चरण इस महीने शुरू होने वाला है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक समूह ने गुरूवार को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया। वह सिंह द्वारा सोनिया गांधी के खिलाफ टिप्पणी किए जाने का विरोध कर रहे थे। गिरिराज ने कहा था कि अगर सोनिया गांधी गोरी चमड़ी के बजाय नाइजीरियाई या काली चमड़ी की होती तो क्या कांग्रेसी उन्हें अपना नेता मान लेते।
हिमाचल प्रवास के दौरान कहीं वैसे रसीले आडू भी नहीं दिखे जैसे हमने राज्य में घुसने के ठीक पहले पंचकुला में लिए थे। और लाल-लाल चेरी ने हमें सिर्फ नारकंडा के आसपास राजमार्ग पर लुभाया। पहाड़ी ढलानों पर सेबों के बागान-दर-बागान दिखते चले गए और हम लोगों से पूछते रहे, कहां गए, कहां गए हिमाचल के मशहूर सेब? शायर मिलते तो कह देते, सेबों को किन्नौरी बालाओं के रुखसार की रंगत में देखिए। लेकिन हमें पता चला, हिमाचल में इस बार फलों की पैदावार में जबर्दस्त गिरावट आई है। फलों में वहां मुख्य पैदावार सेब और नाशपाती की होती है और इन दोनों का उत्पादन इस वर्ष 50-60 प्रतिशत कम हुआ है।