बॉलीवुड गायक सोनू निगम, सुखविंदर सिंह, सुनिधी चौहान समेत संगीत जगत की कई हस्तियों ने मुंबई में आयोजित एक समारोह मेंं सरबजीत सिंह को विशेष संगीतमय सम्मान दिया।
सोशल मीडिया से जागरुकता बढ़नी चाहिए अथवा संकीर्ण विचारों को फैलाया जाए? यह सवाल विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की ईरान यात्रा के दौरान राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात के दौरान पहनी लिबास पर सोशल मीडिया में चली निरर्थक बहस से उठता है।
यह लगभग चार साल पहले की बात है। भारत में अफसानानिगार सआदत हसन मंटों की 100वीं जन्मशताब्दी मनाई जा रही थी। दिल्ली और पंजाब में कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे थे। इस सिलसिले में एक कार्यक्रम दिल्ली में भी आयोजित हुआ जिसमें मंटो पर बात करने के लिए पाकिस्तान से कई अफसानानिगार और बुद्धिजीवि आए। उसी कार्यक्रम में पाकिस्तान के मशहूर उर्दू कहानिकार और पत्रकार इंतिजार हुसैन भी आए थे। वहीं उनसे पहली मुलाकात रही। हमेशा से इंतिजार हुसैन उतने ही भारतीयों के भी रहे जितने वह पाकिस्तान के थे। वह भी मंटो की बेबाक लेखनी के दीवाने थे। इंतजार साहब का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के दिबाई गांव में हुआ था। मंगलवार को 93 वर्षीय इस लेखक का पाकिस्तान में निधन हो गया। भारत में किस प्रकार सोशल मीडिया पर लोगों ने इंतिजार साहब को याद किया-
उत्तर प्रदेश में साढ़े तीन हजार उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। इस संबंध में जारी शासनादेश में एक से ज्यादा शादियां करने वालों को आवेदन के लिए अयोग्य ठहराया गया है। सरकार के इस फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध करते हुए इसे मुसलमानों के शरई अधिकारों का हनन करार दिया है।
‘गजल एक लंबी यात्रा तय करती हुई, वस्ल की रात, महबूब की जुल्फें, हिज्र, सनम की बेरुखी, रुखसार, हुस्न और इश्क के सांचे से निकल चुकी है।‘ ऐसा कहना है कि उर्दू के मशहूर अफसानानिगार और गजलकार मुजफ्फर हनफी का। वह कहते हैं, ‘ लोग मानते हैं कि गजल औरतों से गुफ्तगू करने का नाम है, जो इश्कमिजाजी से लबरेज रहती है जबकि गजल अब विषय पर केंद्रित हो चुकी है। यहां तक कि गालिब जैसों ने भी विषयों पर गजलें लिखी है लेकिन यह अलग बात है कि गजल के उस रूप को तवज्जो कम मिली।
लघु कहानियां लिखने वाले मशहूर किस्सागो सआदत हसन मंटो की कहानियों का संग्रह का अब अंग्रेजी अनुवाद उपलब्ध है। युनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन मेडिसन में उर्दू साहित्य और इस्लामी अध्ययन के मानद प्रोफेसर मुहम्मद उमर मेमन ने इस संग्रह का अनुवाद किया है। इसे माई नेम इज राधा : द एसेंशियल मंटो नाम से प्रकाशित किया गया है जो हिंदी या उर्दू न समझ पाने वाले पाठकों को मंटो की दुनिया में ले जाएगी
प्रेम की गहराई में डूबे जोड़ो का नाम लीजिए और ऐसा हो नहीं सकता कि अमृता प्रीतम और साहिर लुधियानवी का नाम न आए। सरहद पार से दोनों ने बखूबी अपने रिश्ते को निभाया और यह उनके प्यार की गरमाहट ही है जो सालों बाद वे दोनों याद किए जाते हैं
नंदिता दास यूं तो पहले भी दो बार जूरी के सदस्य के रूप में कान फिल्मोत्सव में शिरकत कर चुकी हैं। लेकिन इस बार वह फिल्में देखने या रेड कारपेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बजाय कुछ खास काम ले कर गई हैं।
मिसरा बेशक यह साहिर लुधियानवी के गीत का है लेकिन अफसानानिगार सआदत हसन मंटो पर सटीक बैठता है। ताउम्र ढोंग, तमाशे और साहित्य की राजनीति से दूर रहने वाले मंटो ने कहा था- ‘ हर शहर में बदरौएं और मोरियां मौजूद हैं जो शहर की गंदगी को बाहर ले जाती हैं। हम अगर अपने मरमरी गुसलखानों की बात कर सकते हैं, अगर हम साबुन और लैवेंडर का जिक्रकर सकते हैं तो उन मोरियों और बदरौओं का जिक्र क्यों नहीं कर सकते जो हमारे बदन की मैल पीती हैं।‘ मंटो की 100वीं जन्मशताब्दी से लेकर आज तक उनके नाम पर उनके तथाकथित मुरीदों ने राजनीति, तमाशा और ढोंग ही किया है। मंटो के इन मुरीदों को वह सब चाहिए जो मंटो को नहीं चाहिए था। मंटो के माएने तो यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है।
अमेरिका और उसके मित्र पश्चिमी देशों तथा ईरान के बीच परमाणु फ्रेमवर्क करार के रूप में संबंधों की बर्फ पिघलने का फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने भारत के मुकाबले ज्यादा फुर्तीला कूटनीतिक फुटवर्क दिखाया है।