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Search Result : "सत्ता में वापसी"

आर्थिक जासूसी: गठजोड़ की गांठ खुले तो मानें

आर्थिक जासूसी: गठजोड़ की गांठ खुले तो मानें

सरकारी गलियारों में दूर तक पसरे हुए कॉर्पोरेट जगत के पंजे सार्वजनिक नीतियों को अपने स्वार्थ के लिए कैसे मोड़ते हैं, इसका पर्दाफाश नीरा राडिया टेप कांड ने कुछ वर्ष पहले किया था। सत्ता के गलियारों में वैसी ही कॉर्पोरेट घुसपैठ पर से वैसा ही पर्दा अब मंत्रालय जासूसी कांड उठा रहा है। प्याज के छिलकों की तरह इसकी परतें प्रतिदिन और खुलती जा रही हैं। लेकिन सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि इन परतों के नीचे छोटी-छोटी कठपुतलियां नचाने वाले बड़े-बड़े असली चेहरे सामने आते हैं या नहीं। और सामने आ भी जाएं तो उनके किए की कानूनी जवाबदेही ठहराई जाती है या नहीं।
बिहार में सत्ता संघर्ष तेज

बिहार में सत्ता संघर्ष तेज

बिहार में सत्ता का संघर्ष और तेज हो गया है। एक तरफ जनता दल यूनाइटेड से निकाले गए मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने का दावा ठोक दिया है।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?
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