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										    कर्ज के बोझ के तले दबे किसानों की व्यथा, स्वास्थ्य संबंधी परेशानी और बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझते उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के लोगों की समस्याएं खबरों की सुर्खियां तो जरूर बनती हैं लेकिन चुनावी मुद्दा नहीं बन पातीं और अब सवाल यह है कि राजनीतिक दलों के लिए अंतत: जीत के जातिगत समीकरण का फार्मूला क्या विकास की शक्ल ले पायेगा।
										
                                                                                
                                     
                                                 
  
  
  
  
  
  
  
  
  
			 
                     
                    