उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की बढ़ती सुगबुगाहट के बीच राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने आज 143 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी।
उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार ने टीवी न्यूज चैनलों के कार्यक्रम में अक्सर सपा सरकार का पक्ष रखते नजर आने वाले उच्चतम न्यायालय के वकील और राज्य के अपर महाधिवक्ता गौरव भाटिया समेत दो वरिष्ठ कानून विशेषज्ञों को उनके पद से हटा दिया है।
ग्रामीण जनाधार वाली पार्टी की पहचान से इतर नया कलेवर लेकर उत्तर प्रदेश की सत्ता में आयी समाजवादी पार्टी सरकार मंगलवार को अपने गठन के चार साल पूरे कर लेगी। इस दौरान अखिलेश यादव सरकार ने जहां प्रदेश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने के कई अच्छे प्रयास किये वहीं कानून-व्यवस्था इस पूरी अवधि में बड़ा सवाल बनी रही।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भरोसा जताया है कि अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाएगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ में पार्टी के जिला अध्यक्षों के साथ हुई बैठक में सरकार की उपलब्धियां गिनवाई। अखिलेश ने कहा कि चार साल में समाजवादी सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र के वादे पूरे किए हैं। समाज के सभी वर्गो को लाभ देने वाली योजनांए सरकार ने कार्यान्वित की हैं।
उत्तर प्रदेश में आगामी तीन मार्च को होने वाले विधानपरिषद के चुनाव से पहले ही आठ उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं। गुरूवार को पर्चा वापिसी का दिन था और नामांकन वापिसी के बाद विजयी उम्मीदवारों की घोषणा की गई। सभी निर्विरोध उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान में दाउद इब्राहिम से मिलने संबंधी सपा नेता आजम खान के बयान पर निशाना साधते हुए भाजपा ने यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा कि या तो उनके मंत्रिामंडल में शामिल आजम के आरोपों को साबित किया जाए या बेबुनियाद बयान के लिए माफी मांगी जाए।
उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा है कि गन्ना किसानों को प्रदेश सरकार ने सर्वाधिक भुगतान किया है। आउटलुक के 1 से 15 फरवरी के अंक में गन्ना किसानों की बदहाली को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें किसानों ने अपना गुस्सा जाहिर किया है।
एक दौर था जब प्रदेश के किसान नकदी फसल गन्ने को अपनी लाठी मानते थे। सूबे की 124 चीनी मिलें सूरसा के मुंह जैसी खेतों की ओर ताकती रहती थीं और दिन रात गन्ने की ही फरमाईश करती थीं मगर अब यह लाठी जैसे टूट गई है और 'सुरसा’ भी न जाने कहां बिला गई है। प्रदेश में गन्ने की फसल को राजनीति का ऐसा घुन लगा है कि खेत, फसल और किसान सब चौपट हो रहे हैं। आलम यह है कि गन्ना उगाने की लागत सवा तीन सौ रुपए क्विंटल आ रही है मगर किसान को मिल रहे हैं मात्र 280 रुपए। वह भी रुला-रुलाकर।