देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर ग्रीनपीस इंडिया पर हो रहे सरकारी दमन की निंदा की। सरकार के दमन की कार्रवाई के खिलाफ 180 संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है। पत्र में सामाजिक न्याय और गरीब-मजलूमों के अधिकार के लिये आंदोलन का इतिहास रखने वाले संगठनों पर हो रही दमन की कार्रवाई को शर्मनाक और निराशाजनक कहा है।
बेशक विकास के लिए भूमि जरूरी है। देश को ज्यादा से ज्यादा उद्योगों, सड़कों, बिजली, रेल, अस्पतालों, स्कूलों और मकानों की जरूरत है। लिहाजा, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होनी चाहिए। जिनसे जमीन ली जाए उन्हें उचित मुआवजा और विकास में हिस्सेदारी मिलनी ही चाहिए। लेकिन क्या मोदी सरकार की ओर से लाया जा रहा भूमि अधिग्रहण विधेयक, 2015 इस मामले में खरा उतरता है? वास्तव में नहीं।
जम्मू कश्मीर में पीडीपी नीत सरकार ने गठबंधन सहयोगी भाजपा के दबाव में शुक्रवार को अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को की गिरफ्तारी के बाद घाटी में तनाव हो गया है। आलम की गिरफ्तारी के बाद घाटी पर केंद्र सरकार हर गतिविधि पर नजर बनाये हुए है।
हाल ही में दीपिका पादुकोण के महिला सशक्तिकरण पर वायरल हुए वीडियो के पक्ष और विपक्ष में अनगिनत आवाजें उठीं। पहले दो दिन तो पादुकोण को खूब वाह-वाही मिली लेकिन तीसरे दिन से कुछ लोगों ने दीपिका को लानतें भेजनी शुरू कर दी कि उन्मुक्त यौन संबंध ही महिला सशक्तिकरण नहीं है।
इस वर्ष केंद्रीय बजट में जब निर्धन वर्ग के कार्यक्रमों, ग्रामीण व सामाजिक क्षेत्रों में बड़ी कटौतियां की गई तो कहा गया था कि इसकी क्षतिपूर्ति राज्य सरकारों के बजट में हो जाएगी क्योंकि राज्य सरकारों को 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर करों का अधिक हिस्सा आबंटित हो रहा है। पर अधिकांश राज्य सरकारों के बजट में कटौतियों की पूर्ण व पर्याप्त भरपाई का कोई आसार नजर नहीं आ रहा है। उदाहरण के लिए राजस्थान सरकार के बजट में यह स्पष्ट नजर आता है कि इन उच्च प्राथमिकता क्षेत्रों में हुई कटौतियों की पर्याप्त क्षतिपूर्ति राज्य सरकार के बजट में नहीं हो सकी है।
कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेताओं के पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित से यहां मुलाकात को लेकर भारत और पाकिस्तान में सोमवार फिर वाद-विवाद शुरू हो गया और भारत ने स्पष्ट किया कि किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई भूमिका नहीं है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत को सिर्फ शांति सुनिश्चित करने के लिए ही नहीं बल्कि अपनी क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए भी मजबूत रक्षा बलों की जरूरत है।
किसानो को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए सामाजिक कार्यकर्त अण्णा हजारे वर्धा से दिल्ली तक पदयात्रा करेंगे। इस यात्रा में वह कुल 1100 सौ किलोमीटर चलेंगे। एक अनुमान के मुताबिक उन्हें इस यात्रा के लिए तीन महीने लगेगें।