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Search Result : "सियासी असर"

नोटबंदी का असर, नक्सली भी अपनी वसूली की रकम भुनाने के फेर में

नोटबंदी का असर, नक्सली भी अपनी वसूली की रकम भुनाने के फेर में

पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट के चलन से बाहर होने का असर नक्सली गतिविधियों पर भी पड़ सकता है, तथा नक्सलियों के डंप में रखे करोड़ों रुपये के कचरे में बदलने की संभावना है। ऐसे में नक्सली हमले की आशंका को देखते हुए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बैंकों और एटीएम की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
नीतीश अौर अजीत सिंह उत्तर प्रदेश में बनाएंगे नया सियासी समीकरण

नीतीश अौर अजीत सिंह उत्तर प्रदेश में बनाएंगे नया सियासी समीकरण

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नया सियासी समीकरण बनाने में जुट गए हैं। मंगलवार को बड़ौत में आयोजित रैली में नीतीश कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बदलाव की बयार चल रही है। उन्होने कहा कि रालोद नेता और अजीत सिंह के पुत्र जयंत चौधरी के पक्ष में जनता का झुकाव हो रहा है।
कड़ी कार्रवाई का समय, अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक असर नहीं: उद्योग जगत

कड़ी कार्रवाई का समय, अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक असर नहीं: उद्योग जगत

उद्योग जगत ने भारतीय सेना द्वारा नियंत्रण रेखा के पार जाकर आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के कदम का पूरा समर्थन करते हुए आज कहा कि यह कड़ी कार्रवाई का समय है।
मप्र के गांवों में नहीं है स्वच्छता अभियान का असर

मप्र के गांवों में नहीं है स्वच्छता अभियान का असर

स्वच्छता अभियान का असर भाजपा शासित राज्यों में ही नहीं है। राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑफिस ने देश के 26 राज्यों का सर्वे किया और यह नतीजे सामने आए हैं। सर्वे में पता चला है कि मध्य प्रदेश के गांव देश में चौथे सबसे गंदे गांव हैं, जबकि साफ-सफाई में सिक्किम के गांवों ने बाजी मारी है।
आम हड़ताल का चार राज्यों में व्यापक असर, 26 हजार करोड़ की चपत

आम हड़ताल का चार राज्यों में व्यापक असर, 26 हजार करोड़ की चपत

देश के 10 प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का चार राज्यों में व्यापक असर पड़ा है। केरल, त्रिपुरा, कर्नाटक, तमिलनाडु, बंगाल, बिहार और झारखंड में हड़ताल के चलते बैंकिंग, औद्योगिक, वाणिज्यिक और परिवहन सेवाओं पर असर देखा गया। बैंकिंग सेवाएं तो देश भर में प्रभावित हुई हैं। राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में सेवाएं सामान्य रहीं। महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में हड़ताल की अपील का मिला-जुला असर दिखा। राष्ट्रीयकृत बैंक बंद रहे। प्राइवेट बैंक कहीं खुले रहे, कहीं बंद।
‘फिरकापरस्त’ तबका समझ रहा हम जो जी चाहें करें-मौ.अरशद मदनी

‘फिरकापरस्त’ तबका समझ रहा हम जो जी चाहें करें-मौ.अरशद मदनी

देश के मौजूदा सियासी-सामाजिक हालातों पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के सदर मौलाना सय्यद अरशद मदनी मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि कुछ मौजूदा मसलों पर सरकार ने अगर समझदारी का सुबूत न दिया,जो लोग मुल्क के हालात खराब करने की कोशिश कर रहे हैं अगर सरकार के हाथ उनकी गर्दन तक नहीं पहुंचे या उनके हौसले को न तोड़ा गया तो हालात खराब होंगे।
उदित राज ने भाजपा को किया आगाह, दलितों पर हमले का असर चुनावों पर पड़ेगा

उदित राज ने भाजपा को किया आगाह, दलितों पर हमले का असर चुनावों पर पड़ेगा

दलित समुदाय से आने वाले भाजपा के एक सांसद ने रविवार को पार्टी को आगाह किया कि समुदाय के सदस्यों पर हमले की हालिया घटनाओं का असर 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करेंगे कि देश में कानून का शासन हो।
लखनऊ में नीतीश ने दिए नए सियासी समीकरणों के संकेत

लखनऊ में नीतीश ने दिए नए सियासी समीकरणों के संकेत

बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नए सियासी समीकरणों का संकेत देते हुए मंगलवार को उत्तर प्रदेश में कहा कि देश में दलितों को उनका हक दिलाने के लिए अभी बहुत लड़ाई बाकी है और यदि मौका मिला तो वह बीएस-4 के साथ मिलकर इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे।
पूर्वांचल बनेगा सियासी मुद्दा

पूर्वांचल बनेगा सियासी मुद्दा

छोटे राज्यों के गठन को लेकर सियासी पार्टियों का अपना अलग-अलग नजरिया हो सकता है लेकिन देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के गठन को लेकर मांग तेज हो गई है। साल 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अलग पूर्वांचल राज्य के गठन की मांग तेज होने लगी थी और पूर्वांचल के विकास को सियासी मुद्दा बनाया गया था।
सरकार की नई नीति की कैंची से छोटे अखबारों का होगा मुंह बंद

सरकार की नई नीति की कैंची से छोटे अखबारों का होगा मुंह बंद

केंद्र सरकार की नई विज्ञापन नीति की गाज छोटे-मध्यम अखबारों पर गिर रही है। अगर इनकी आवाज अनसुनी की गई तो इनका बंद होना तय है। नतीजा यह होगा कि स्थानीय-सामाजिक मुद्दे उठाने वाले इन अखबारों के दफ्तरों पर ताला जड़ जाएगा और इस कारोबार से जुड़े लाखों लोग बेरोजगारी की दहलीज पर आ जाएंगे।
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