नगालैंड में बलात्कार के आरोपी को पीट पीट कर मार डाले जाने का मुद्दा आज लोकसभा में उठा और असम के कांग्रेस सदस्यों ने इस मामले को प्रदेश सरकार की विफलता करार दिया।
नगालैंड में बलात्कार के आरोपी की हत्या वाले मामले में दिमापुर के डीसी और एसपी को संस्पेंड कर दिया गया है और मामले की न्यायिक जांच शुरू हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से मामले की जानकारी मांगी है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि जांच पूरी होने पर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बीच मुस्लिम संगठनों ने पुलिस के मूकदर्शक बने रहने पर सवाल उठाया है।
भारतीय टीम के निदेशक रवि शास्त्री ने विश्व कप से ठीक पहले हुई त्रिकोणीय श्रृंखला को समय और ऊर्जा की सरासर बर्बादी करार देते हुए कहा कि श्रृंखला के कारण मानसिक रूप से थकी होने के बावजूद भारतीय टीम ने विश्व कप में अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन किया है।
इसे लोकतंत्र का कमाल कहिये या सीमा कि वैचारिक तौर पर बिल्कुल विपरीत धरातल पर खड़ी दो पार्टियां मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने जा रही हैं। सारी तैयारियां हो चुकी हैं। रविवार को पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। दिल्ली में मुफ्ती और मोदी ने मिलकर इस बात पर अंतिम फैसला कर लिया है।
जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी सरकार बनाने के लिए कई मुद्दों पर सहमति बनाते दिख रहे हैं। लेकिन अनुच्छेद 370 और सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम जैसे मुद्दों को लेकर जो सवाल हैं वह हल हो जाएगा।
इनकम टैक्स विभाग ने अवैध चंदे के मामले में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को नोटिस भेजा है। विभाग ने नोटिस में पूछे गए सवालों का संतोषजनक जवाब न देने पर कार्रवाई की धमकी दी गई है।
बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या के अलावा आउटलुक के अस्तित्व के इन 12 वर्षों में भारतीय समाज की दूसरी हिंसा कृषि संकट और बढ़ते शहरीकरण के प्रसंग में दिखती है। सन 2001 के पूर्ववर्ती दशक में शहरी आबादी 6.18 करोड़ बढ़ी थी जो 2001 से 2011 के बीच 9.1 करोड़ बढ़ी। ग्रामीण आबाद 2001 के पूर्ववर्ती दशक में 11.3 करोड़ बढ़ी थी लेकिन 2001 से 2011 के बीच यह सिर्फ 9.06 करोड़ बढ़ी। यानी शहरी आबादी वृद्धि दर के मुकाबले ग्रामीण आबादी वृद्धि दर कम हुई। यानी आजीविका के अभाव में या विभिन्न परियोजनाओं के चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी उजडक़र शहरों में आई। यह तर्क दिया जा सकता है कि विकास के कारण ग्रामीण आबादी की गतिशीलता बढ़ी और वह शहरों में बेहतर अवसर तलाशने आई इसलिए इसे आपदा-पलायन नहीं कह सकते। लेकिन इस दौरान शहरों में भी संगठित रोजगार घटा यानी गांवों से शहरों में होने वाला आव्रजन आपदा-पलायन ही था। यही कृषि संकट का भी दौर रहा जब देश में बड़े पैमाने पर किसानों ने आत्महत्या की।