केंद्र सरकार की ओर से कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल ने बाजी मार ली है। लेकिन कई शहर साफ-सफाई के मामले में पिछड़ते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के चार शहर तो सबसे निचले पायदान पर हैं।
केंद्र सरकार ने 2017 में किए गए सर्वे के बाद स्वच्छ शहरों की सूची पेश की है उसमें कुछ शहरों को निचले पायदान पर रखा गया है। वहीं कुछ शहरों को एक-दो सालों के अंतराल में ही शीर्ष स्थान में शामिल किया गया है। सरकार के मापदंडों के आधार पर शहरों का क्रम विकास के पैमाने को अवश्य परिभाषित कर रहा है लेकिन कुछ खास शहरों का पीछे रह जाना कुछ सवाल भी पैदा कर रहा है।
सोनीपत में सफाई के लिए सीवर में उतरे तीन मजदूरों की सोमवार को मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि समय पर चिकित्सा नहीं मिलने की वजह से मौत हुई। आक्रोशित परिजनों ने हादसे के बाद नेशनल हाइवे को जाम कर दिया।
विश्व जल दिवस से एक दिन पूर्व जारी एक नई वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छह करोड़ 30 लाख लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल पाता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में यह संख्या सबसे ज्यादा है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने नई दिल्ली में अपने मंत्रालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को स्वच्छता शपथ दिला कर स्वच्छता पखवाडे का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार स्वच्छता के प्रति गंभीर है और अब हर व्यक्ति इस बारे में जागरूक होने लगा है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने नकली और बिना मानक गुणवत्ता वाली दवाइयों की समस्याओं के लिए एक सर्वेक्षण करने से संबंधित कार्य राष्ट्रीय बायोलॉजिकल्स संस्थान (एनआईबी), नोएडा को सौंपा था। एनआईबी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
भारत में चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता हमेशा से संदेहास्पद रही है और लगता है कि ये स्थिति इस बार यूपी के चुनाव में भी नहीं बदलने वाली है। यूपी के विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में सिर्फ 11 दिन शेष हैं और इस बीच दो समाचार चैनलों द्वारा अलग-अलग एजेंसी से करवाए गए सर्वे के अनुमान बताते हैं कि यूपी में भारतीय जनता पार्टी या सपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बन सकती है।