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वीके सिंह के विवादित बोल, पैसे लेकर छेड़ी असहिष्णुता पर बहस

वीके सिंह के विवादित बोल, पैसे लेकर छेड़ी असहिष्णुता पर बहस

केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह फिर अपने बोल को लेकर विवादों में हैं। इस बार उन्होंने देश में असहिष्‍णुता को लेकर छिड़ी बहस पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भारत में असहिष्णुता पर बहस उन लोगों ने छेड़ी जिन्हें इस काम के लिए पैसे दिए गए और यह बहस कुछ ज्यादा ही कल्पनाशील लोगों के दिमाग की गैर जरूरी उपज है और खास बिहार चुनाव से पहले राजनीति से प्रेरित होकर शुरू कर गई थी।
पुरस्‍कारों की कद्र करें, विमर्श से जताएं असहमति: राष्‍ट्रपति

पुरस्‍कारों की कद्र करें, विमर्श से जताएं असहमति: राष्‍ट्रपति

राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि पुरस्‍कारों की कद्र करनी चाहिए, इन्‍हें संजोकर रखना चाहिए। भावनाओं में बहने के बजाय अपनी असहमति को बहस और विमर्श के जरिए व्‍यक्‍त करना चाहिए। राष्‍ट्रपति की इस बात को पुरस्‍कार वापसी मुहिम में जुटे लोगों को नसीहत भी माना जा रहा है।
कुंदन शाह, मिर्जा, अरुंधति‍ समेत 24 लोगों ने अवार्ड लौटाए

कुंदन शाह, मिर्जा, अरुंधति‍ समेत 24 लोगों ने अवार्ड लौटाए

देश में असहिष्णुता के माहौल को लेकर पुरस्‍कार वापसी का सिलसिला जारी है। अब जाने-माने फिल्‍म फ‍िल्‍मकार कुंदन शाह, निर्देशक सईद मिर्जा और प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय समेत 24 फिल्‍मकारों ने अपने राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार लौटाने का ऐलान किया है। इससे पहले दिबाकर बनर्जी और आनंद पटवर्धन समेत 11 लोगों ने अभिव्‍यक्ति की आजादी और असहिष्‍णुता के मुद्दे पर अपने पुरस्‍कार लौटा दिए थे।
लोकतंत्र बचाने के लिए जरूरी है पुरस्कार वापसी

लोकतंत्र बचाने के लिए जरूरी है पुरस्कार वापसी

पिछले कुछ हफ्तों में लेखकों वैज्ञानिकों और कलाकारों के सम्मान लौटाने की बाढ़ देखी गई। पुरस्कार लौटाने के जरिये ये सम्मानित और पुरस्कृत लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए खड़े हुए हैं। बढ़ती असहिष्णुता और हमारे बहुलतावादी मूल्यों पर हो रहे हमलों पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए इन शिक्षाविदों, इतिहासकारों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के कई बयान भी आए हैं। जिन्होंने अपना पुरस्कार लौटाया है वे सभी साहित्य, कला, फिल्म निर्माण और विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले लोगों में से हैं। इस तरह सम्मान लौटाकर उन सभी लोगों ने सामाजिक स्तर पर हो रही घटनाओं पर अपने दिल का दर्द बयान किया है।
तुर्की में एक दलीय शासन की वापसी

तुर्की में एक दलीय शासन की वापसी

तुर्की में राष्ट्रपति रीसेप तयैप अरडोगन के नेतृत्व वाली जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) को बड़ी जीत मिली है। इसके साथ ही तुर्की में एक बार फिर से एकल पार्टी शासन की वापसी हो गई है।
पुरस्कार लौटाने वालों के समर्थन में राव

पुरस्कार लौटाने वालों के समर्थन में राव

नए अभिनेता जरा मुश्किल से ही राजनीति पर अपनी राय जाहिर करते हैं। लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मानित अभिनेता राजकुमार राव ने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने के फिल्म निर्माताओं के फैसले को साहसी कदम बताया है।
पाकिस्तान से भारत आ रही है गीता

पाकिस्तान से भारत आ रही है गीता

करीब एक दशक पहले दुर्घटनावश सीमा पार कर पाकिस्तान चली गई और वहीं रह रही मूक-बधिर भारतीय लड़की गीता कल भारत वापस आएगी। इस संबंध में दोनों देशों की सरकारों ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
साहित्य अकादमी चाहती है लेखकों की ‘घर वापसी’

साहित्य अकादमी चाहती है लेखकों की ‘घर वापसी’

लेखक एम एम कलबुर्गी की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए साहित्य अकादमी ने आज सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राज्य एवं केंद्र सरकारों से इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने की अपील की।
पहले दो टेस्ट के लिए जडेजा की वापसी, अरविंद नया चेहरा

पहले दो टेस्ट के लिए जडेजा की वापसी, अरविंद नया चेहरा

हरफनमौला क्रिकेटर रविंद्र जडेजा ने लगभग 14 महीने के बाद भारत की टेस्ट टीम में वापसी की जबकि चयनकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले दो मैचों के लिए 16 सदस्यीय टीम में और कोई बदलाव नहीं किया। वहीं चोटिल रविचंद्रन अश्विन को भी इस दौर में जगह मिली है, हालांकि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आखिरी दो एकदिवसीय मैच वह नहीं खेलेंगे।
जेएनयू छात्रसंघ: लेफ्ट का दबदबा लेकिन एबीवीपी की वापसी

जेएनयू छात्रसंघ: लेफ्ट का दबदबा लेकिन एबीवीपी की वापसी

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में वामपंथियों का दबदबा इस बार भी कायम रहा है। पहली बार अध्‍यक्ष पद पर सीपीआई समर्थित ऑल इंडिया स्‍टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का उम्‍मीदवार जीता है लेकिन 14 साल बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) भी जेएनयूएसयू सेंट्रल पैनल में वापसी करने में कामयाब रही। दिल्‍ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में सभी सीटों पर जीतने वाली एबीवीपी के लिए यह एक बड़ी सफलता है। हालांकि, जेएनयू अभी भी लेफ्ट का गढ़ है लेकिन एबीवीपी का असर बढ़ रहा है।
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