लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र ने शिक्षक द्वारा रिश्वत लेने के दबाव से तंग आकर आत्महत्या कर ली। छात्र को कक्षा में उपस्थिति के रिकॉर्ड के आधार पर परीक्षा प्रवेश पत्र मिलने से शिक्षक रोक रहा था। छात्र ने एक बार 20 हजार रुपया दे भी दिया और घूसखोर शिक्षक ने ज्यादा रकम मांगी। ऐसी मानसिक प्रताड़ना संपूर्ण शिक्षा-व्यवस्था और शासकीय तंत्र के लिए शर्मनाक है।
ऑटो एक्सपो-मोटर शो 2016 का आयोजन ग्रेटर नोएडा में 5 से 9 फरवरी 2016 तक चलने वाले इंडिया एक्सपो मार्ट में इस बार बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा। यहां 37240 वर्गमीटर के अतिरिक्त कार्पेट एरिया के साथ 6 विशाल हॉल बनाये गये हैं जहां एयर कंडिशनिंग और पर्याप्त बिजली आपूर्ति केबलिंग की व्यवस्था है। शो के आगामी संस्करण में कुल इनडोर प्रदर्शनी स्थल को पिछले संस्करण के 69,000 वर्गमीटर से बढ़ाकर इस साल 73,000 वर्गमीटर कर दिया गया है।
ट्रांसपोर्टरों ने शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी अपनी हड़ताल जारी रखी जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में सामान की आपूर्ति प्रभावित हुई है। हालांकि सरकार ने वर्तमान टोल प्रणाली को खत्म करने की उनकी मांग को मानने से इनकार कर दिया।
ट्रक मालिक मौजूदा टोल प्रणाली के विरोध में आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के आह्वान पर गुरुवार सुबह से अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर चले गए। हालांकि दूध, सब्जी और दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं को हड़ताल के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन हड़ताल जारी रहने की स्थिति में महंगाई बढ़ने की आशंका के साथ ही ट्रक मालिकों को प्रति 1500 करोड़ रुपये जबकि सरकार को 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अंदाजा लगाया गया है।
एक नवंबर से महाराष्ट्र सरकार ऑटो चलाने के परमिट के लिए नियमों में एक नया बदलाव करने जा रही है। इसके तहत मुंबई में अब उन्हीं लोगों को ऑटो चलाने का परमिट दिया जाएगा, जो मराठी भाषा बोल सकते हैं। इस फैसले के परिणाम का आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि मुंबई में अच्छी खासी संख्या में उत्तर भारतीय लोग ऑटो चलाते हैं।
देश के संवैधानिक प्रमुख की हैसियत से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजधानी दिल्ली में गहराते संवैधानिक संकट को देखते हुए अब और निष्क्रियता और चुप्पी की आरामतलबी गवारा नहीं कर सकते। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के उसके खिलाफ विधान सभा का सत्र बुलाने के निर्णय से केंद्र और दिल्ली सरकार का टकराव अब उस कगार पर पहुंच गया है कि बिना न्यायपालिका या राष्ट्रपति जैसी उच्च संवैधानिक संस्थाओं की पंचायती के किसी परिपक्व संवैधानिक हल की उम्मीद नहीं।