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शुभ मंगल में असावधानी

शुभ मंगल में असावधानी

आनंद एल राय निर्माता के रूप में शायद ‘तनु वेड्स मनु’ से आगे कुछ चाह रहे थे। इस बार उन्होंने निर्देशन की बागडोर आर एस प्रसन्ना के हाथों में दे दी। फिल्म के कई संवादों पर खूब तालियां बजीं, ठहाके भी लगे। बालकनी में बैठने वाले शायद सीटी न बजा पाएं पर जो लोग ड्रेस सर्किल में बैठते हैं उनके लिए उसकी पूरी छूट है। इसका सिर्फ इतना सा कारण है कि फिल्म पहली बार सेक्स करने में अक्षम पुरुष पर खुल कर बात करती है।
आखिर क्यों खाएं, ‘बरेली की बर्फी’

आखिर क्यों खाएं, ‘बरेली की बर्फी’

हंसाना दुनिया का सबसे कठिन काम है। लव स्टोरी में तो सच में बहुत कठिन। लेकिन तिवारी दंपती ने मिल कर बहुत सारे चेहरों पर मुस्कान ला दी है। मीठी-मीठी बर्फी सही जम गई है, भाईसाब!
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